कोरोना की दूसरी लहर के बीच एक सवाल, 1 सदी पहले आखिर कैसे रोका गया था स्‍पैनिश फ्लू?

देश
श्वेता कुमारी
Updated Apr 17, 2021 | 19:23 IST

ऐसे में जबकि देशभर में कोरोना वायरस संक्रमण के कारण हालात दिन-ब-दिन गंभीर होते जा रहे हैं। एक सवाल हर किसी के जेहन में आ रहा है कि क्‍या हमने एक सदी पहले की उस महामारी से सबक लिया?

कोरोना की दूसरी लहर के बीच एक सवाल, 1 सदी पहले आखिर कैसे रोका गया था स्‍पैनिश फ्लू
कोरोना की दूसरी लहर के बीच एक सवाल, 1 सदी पहले आखिर कैसे रोका गया था स्‍पैनिश फ्लू  |  तस्वीर साभार: AP, File Image

नई दिल्‍ली : दुनियाभर में बीते साल जब कोरोना वायरस संक्रमण की शुरुआत हुई थी, स्‍पैनिश फ्लू की चर्चा भी जोरों पर थी, जिसने करीब एक सदी पहले दुनिया में इसी तरह का एक बड़ा स्‍वास्‍थ्‍य संकट पैदा कर रहा था। यह महामारी 1918 में फैली थी, जिसमें तब दुनियाभर में करीब दो से पांच करोड़ लोगों की जान गई थी। कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के बीच एक बार फिर सवाल उठता है कि क्‍या हमने उससे सबक लिया?

यह वो दौर था, जब दुनिया प्रथम विश्वयुद्ध झेल रही थी। सैनिकों की एक जगह से दूसरी जगह आवाजाही हो रही थी और हथियार ढोने वाले वाहन भी यहां-वहां जा रहे थे, जिससे यह बीमारी और फैल रही थी। महामारी पर काबू पाने के लिए तब भी सरकारों ने लोगों को घर में ही रहने और भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचने की सलाह दी थी। कई तरह के प्रतिबंध भी उसी तरह लागू किए गए थे, जैसा कि मौजूदा समय में देखने को मिल रहा है।

1 सदी पहले भी कारगर थे ये उपाय

स्‍पैनिश फ्लू से संबंधित कई रिपोर्ट्स बताते हैं कि उस दौर में भी दुनियाभर में कई थिएटर, डांस हॉल्स, सिनेमा और धार्मिक स्‍थलों को कुछ महीनों के लिए बंद किय गया था। यूरोप में फुटबॉल लीग सह‍ित कई ऐसे कार्यक्रम कर दिए गए थे, जिनमें भारी संख्‍या में लोगों के जुटने का अनुमान था। शहरों, कस्बों में सड़कों पर एक निश्चिम अंतराल पर डिसइंफेक्‍टेंट का छिड़काव हो रहा था तो लोगों को मास्‍क पहनने की सलाह भी दी गई थी।

ये कुछ तरीके थे, जो स्‍पैनिश फ्लू जैसी महामारी को नियंत्र‍ित करने के लिए दुनियाभर में अपनाए गए थे। निश्चित तौर पर उस समय भी दुनिया के कुछ हिस्‍सों में लापरवाही भी अपनाई गई थी। इस दौरान वैज्ञानिक भी लगातार इस बीमारी की काट खोजने में लगे रहे। अब एक बार फिर वही स्थिति पूरी दुनिया में है और जिस तरह संक्रमण लगातार फैल रहा है, उसमें सवाल उठना लाजिमी है कि हमने आखिर उस महामारी से क्‍या सबक लिया?

एहतियात कितना अहम?

यह सवाल इसलिए भी अहम हो जाता है, क्‍योंकि विशेषज्ञ लगातार कोविड-19 महामारी के लिए लोगों की लापरवाही को भी एक बड़ा कारण बता रहे हैं। शनिवार को भी एम्स डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कोविड के मामलों में अचानक बढ़ोतरी के कई कारण हैं, जिनमें से एक यह भी है कि जनवरी/फरवरी में टीकाकरण शुरू हुआ और मामलों में कमी आई तो लोगों ने कोविड को लेकर उचित व्यवहार का पालन करना बंद कर दिया।

उन्‍होंने देश में बहुत सी धार्मिक गतिविधियों और चुनाव का भी जिक्र किया, जिसमें लोगों की एक बड़ी संख्‍या किसी खास स्‍थान पर जुटती है।

साफ है कि कोरोना पर काबू तभी पाया जा सकता है, जब लोग इसकी गंभीरता को समझें और उपयुक्‍त व्यवहार करना शुरू करें। स्‍पैनिश फ्लू का उदाहरण भी दुनिया के सामने है, जिससे सबक लेने की जरूरत है। स्‍पैनिश फ्लू जैसी महामारी हो या विशेषज्ञों की राय ये सभी यही बताते हैं कि संक्रमण से बचाव के लिए एहतियात बहुत जरूरी हैं।

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