नई दिल्ली : देशभर में कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच केंद्र सरकार ने शुक्रवार को साफ किया कि आरटी-पीसीआर जांच SARS-CoV-2 वायरस के नए वेरिएंट्स का पता लगाने में सक्षम है और जांच के दौरान इस बारे में पता चलता है। साथ ही कई राज्यों पर आोप लगाया कि वे सलाह के बावजूद संक्रमित लोगों के क्लिनिकल डेटा के साथ जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए नमूने नहीं भेजते हैं।
सरकार की ओर से यह स्पष्टीकरण उन मीडिया रिपोर्ट्स के बीच आया है, जिनमें कहा गया है कि RT-PCR टेस्ट से कोविड-19 के नए वेरिएंट्स का पता नहीं चलता है और जांच का यह तरीका वायरस के अलग-अलग म्यूटेंट्स का पता लगाने में सक्षम नहीं है। लेकिन सरकार की ओर से जारी एक बयान में इससे इनकार किया गया और कहा गया है कि RT-PCR टेस्ट से कोविड-19 के नए वेरिएंट्स की पहचान होती है।
बयान के मुताबिक, कोविड-19 के लिए भारतीय जीनोमिक कंसोर्सियम ने 26 मार्च, 2021 से ही समय-समय पर कई राज्यों में संक्रमण के केस का जीनोम सीक्वेंसिंग डेटा जारी करता आ रहा है। अब तक इसने कोविड-19 के जीनोम अनुक्रम को समझने के लिए 13 हजार से अधिक नमूनों की जांच की है, जिनमें RT-PCR टेस्ट से यूके, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और डबल म्यूटेंट वेरिएंट्स का पता चलता है।
इसके मुताबिक, अब तक जिन 13 हजार से अधिक नमूनों की जांच की गई है, उनमें 1109 सैंपल यूके वेरिएंट्स के हैं, जबकि 79 सैंपल दक्षिण अफ्रीका वेरिएंट के हैं और एक ब्राजील वेरिएंट का है। रिसर्च में यह भी सामने आया है कि कोविड-19 के वायरस में लगातार म्यूटेशन हो रहा है और कई तरह के म्यूटेंट्स भारत सहित अन्य देशों में मिल रहे हैं।
आंकड़ों के अनुसार, अब तक के अनुसंधानों से ब्रिटेन में 17 म्यूटेशन, ब्राजील में 17 म्यूटेशन और दक्षिण अफ्रीका में 12 म्यूटेशन का पता चला है। इन वेरिएंट्स में संक्रमण की दर बहुत ज्यादा है। कोविड-19 का यूके वेरिएंट ब्रिटेन सहित यूरोप के कई देशों और एशिया व अमेरिका में भी पाया गया है। डबल म्यूटेंट की उच्च संक्रामकता के बारे में तथ्य अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है।
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