Bitta Karate Killing: श्रीनगर सेशन कोर्ट में सतीश टिक्कू हत्या मामले की सुनवाई टल गई है। कोर्ट इस मामले की सुनवाई 16 अप्रैल से शुरू करेगा। कराटे बिट्टा ने साल 1990 में सतीश टिक्कू सहित 20 कश्मीरी पंडितों की हत्या की थी। टिक्कू के परिवार ने इस मामले की सुनवाई के लिए नई अर्जी कोर्ट में लगाई है। अब सुबह जब कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई तो बिट्टा के वकील ने सुनवाई रोकने की कोशिश की। दरअसल, सतीश टिक्कू के परिवार ने श्रीनगर कोर्ट में इस हत्या मामले की सुनवाई के लिए अर्जी दी है।
बिट्टा कराटे का असली नाम फारूक अहमद डार है। उसने 31 साल पहले सतीश टिक्कू की हत्या की और इसके बाद कई कश्मीरी पंडितों को जान से मारा। उसने टेलिविजन पर इन हत्याओं की बात कबूल की है। गत वर्षों में टिक्कू कई बार गिरफ्तार हुआ लेकिन कभी वह सबूतों के अभाव में या हल्की धाराओं में केस दर्ज होने के चलते रिहा होता रहा। विवेक अग्निहोत्री की फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' के रिलीज होने के बाद कश्मीरी पंडितों के पलायन का दर्द एक बार फिर छलक गया है।
अपने दोस्त सतीश टिक्कू की हत्या की
कश्मीरी पंडितों के खिलाफ बिट्टा ने 1989 में हथियार उठाया और इसके बाद घाटी में 20 कश्मीरी पंडितों की हत्या की। इसमें सतीश टिक्कू भी शामिल था। टिक्कू का परिवार इसके बाद से न्याय की गुहार लगाता रहा है लेकिन अभी तक इस मामले में ठोस कार्रवाई नहीं हुई। परिवार चाहता है कि इस मामले की अब नए सिरे से सुनवाई हो। इसलिए उसने कोर्ट में एक नई अर्जी दायर की है।
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पहली बार 1990 में गिरफ्तार हुआ बिट्टा
बिट्टा की पहली बार गिरफ्तारी 1990 में हुई लेकिन सबूतों के अभाव में उसे 2006 में रिहा कर दिया गया। इसके बाद अमरनाथ श्राइन बोर्ड के लिए जमीन पर उपद्रव मामले में उसे 2008 में गिरफ्तार किया गया लेकिन इसके आठ महीने बाद उसकी रिहाई हो गई। साल 2019 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने उसे आतंकी फंडिंग मामले में गिरफ्तार किया।
बिट्टा को फांसी होनी चाहिए-अशोक पंडित
इस मामले की दोबारा सुनवाई शुरू होने पर फिल्मकार अशोक पंडित ने कहा कि मौजूदा सरकार की वजह से संभव हो पाया है। बिट्टा हत्यारा है। उसने खुलेआम सड़कों पर निकलकर लोगों को मारा, महिलाओं का रेप किया। इन जघन्य अपराधों को उसने स्वीकार किया है। ये खुला घूम रहा था। इनको फांसी की सजा मिलनी चाहिए।
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