लंबी जांच के बहाने किसी भी शख्स को जेल में लंबे समय तक नहीं रखा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में अपना नजरिया व्यक्त करते हुए कहा कि सिर्फ और सिर्फ शक के आधार पर कि कोई शख्स जांच प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है लिहाजा उसके बेल पर विरोध किया जाना चाहिए।
इमैनुअल हक मामले में टिप्पणी
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने मोहम्मद इमैनुअल हक को जमानत देते हुए खास टिप्पणी की। बता दें कि इमैनुउल हक की गिरफ्तारी जानवरों की तस्करी मामले में हुई थी। इस केस में बीएसएफ के एक कमांडेट भी गिरफ्तार किया गया था। जांच एजेंसियों का आरोप था कि पशुओं की तस्करी से जो रकम मिलती थी उसे राजनीतिक दलों और स्थानीय प्रशासन को भेंट के तौर पर दिया जाता था।
दूसरे आरोपियों को मिली है जमानत
इमैनुअल हक के पक्ष में दलील देते हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि पशु तस्करी के मामले में सीबीआई ने 6 फरवरी को चार्जशीट लगाई और उसी साल 21 फरवरी को सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की गई। एक ही केस में बीएसएफ के आरोपी कमांडेंट और दूसरे आरोपियों को कलकत्ता हाईकोर्ट ने जमानत दे दी। लेकिन इमैनुउल हक एक साल से अधिक समय से जेल में बंद है जबकि इस मामले में अधिकतम सजा सात साल की है।
UP: यूपी के भदोही से दबंग विधायक विजय मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, खारिज हुई जमानत याचिका
सीबीआई की तरफ से थी यह दलील
सीबीआई की तरफ से दलील देते हुए एडिश्नल सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी ने कहा कि याची इस पूरे मामले का सरगना है जिसमें बीएसएफ, कस्टम, स्थानीय पुलिस और सीमापार से जुड़े तस्कर सह आरोपी हैं। उन्होंने कहा कि हक लुक आउट नोटिस से बचता रहा। लेकिन पश्चिम बंगाल में उसकी एंट्री जमीनी रास्ते बांग्लादेश से हुई। इससे पता चलता है कि उसकी साठगांठ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है।
Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।