नई दिल्ली: चक्रवाती तूफान तौकते (Cyclonic Tauktae) को लेकर देश के कुछ राज्यों में खतरा बना हुआ है मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक 18 मई की सुबह तक इसके गुजरात पहुंचने के आसार जताए जा रहे हैं जिसके चलते भारी तबाही की आशंका भी बताई गई है,इससे निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं वहीं बताया जा रहा है कि रविवार को चक्रवाती तूफान 'तौकाते' गोवा के तटीय क्षेत्र से टकरा गया है गोवा में चक्रवाती तूफान से भारी नुकसान की खबर सामने आ रही है।
चक्रवात ‘तौकते’ की वजह से गोवा के कई हिस्सों में रविवार को तेज हवाएं चलीं तथा भारी बारिश हुई, जिस वजह से बिजली के खंभे उखड़ गए और कई इलाकों में बिजली की आपूर्ति बाधित हुई।अधिकारियों ने बताया कि अब तक किसी के भी हताहत होने की खबर नहीं है।गोवा के ऊर्जा मंत्री नीलेश कैब्राल ने बताया कि तेज हवाएं चलने के कारण बिजली के खंभे उखड़ गए हैं जिस वजह से गोवा के अधिकतर इलाकों में बिजली चली गई है।
तौकते 18 मई की शाम तक गुजरात व उससे लगते पाकिस्तानी तटीय क्षेत्र के तट से टकरा सकता है और इससे वहां भारी तबाही होने की आशंका जताई गई है।गुजरात के कच्छ और सौराष्ट्र के समुद्री इलाकों में इसे लेकर कोस्ट गार्ड अलर्ट मोड पर बने हुए हैं।
महाराष्ट्र, केरल और गुजरात के तटों पर तीन दिन तक तूफान का असर रहने की संभावना है साथ ही कहा जा रहा है कि चक्रवाती तूफान के दौरान 150 से 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल सकती हैं।
केरल में 16 मई को कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा और 17 मई को कुछ जगहों पर भारी वर्षा को सकती है। कर्नाटक के तटीय और निकटवर्ती घाट जिलों में 16 मई को कुछ स्थानों पर भारी से काफी भारी वर्षा की संभावना है। 16 मई को कोंकण तथा गोवा और पड़ोसी घाट क्षेत्रों में भारी से बहुत भारी वर्षा की संभावना है और 17 मई को उत्तर कोंकण के कुछ स्थानों पर भारी वर्षा हो सकती है।
इसके अलावा गुजरात में सौराष्ट्र के तटीय जिलों में 16 मई की दोपहर से अनेक स्थानों पर हल्की से सामान्य वर्षा की संभावना जबकि 17 मई को सौराष्ट्र और कच्छ के अनेक स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा तथा कुछ स्थानों (जूनागढ़ तथा गिर सोमनाथ जिलों में) कुछ स्थानों पर अत्यधिक भारी वर्षा हो सकती है।
18 मई को सौराष्ट्र तथा कच्छ के कुछ स्थानों पर तथा कुछ स्थानों (पोरबंदर, देवभूमि द्वारका,जामनगर और कच्छ जिलों में) अत्यधिक भारी (20 सेंटीमीटर) वर्षा हो सकती है। वहीं पश्चिम राजस्थान में 18 तथा 19 मई को अनेक स्थानों पर हल्की से सामान्य वर्षा तथा कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा हो सकती है।
यह इस साल का पहला चक्रवाती तूफान है। ये ऐसे समय में दस्तक दे रहा है, जब भारत कोरोना वायरस की बेहद घातक दूसरी लहर से लड़ रहा है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन चक्रवातों का नाम कैसे रखा जाता है? आपको जानकर हैरानी होगी कि इसका एक इतिहास और प्रक्रिया है। आइए समझते हैं, चक्रवात 'तौकते' का नाम म्यांमार ने सुझाया है। यह एक बर्मी शब्द है जिसका अर्थ है गेको, एक 'छिपकली' है।
चक्रवातों का नामकरण विश्व मौसम विज्ञान संगठन/संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग एशिया और प्रशांत (WMO/ESCAP) पैनल ऑन ट्रॉपिकल साइक्लोन (PTC) द्वारा किया जाता है। पैनल में 13 देश शामिल हैं- भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, पाकिस्तान, मालदीव, ओमान, श्रीलंका, थाईलैंड, ईरान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन। ये 13 देश इस क्षेत्र के चक्रवातों को नाम देते हैं।
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