नई दिल्ली: नृत्य और संगीत भारतीय संस्कृति और त्योहारों का एक अभिन्न अंग रहा है। भारत के मंदिरों और राज दरबारों में भी संगीत और नृत्य कलाओं के प्रदर्शन करने की परंपरा प्राचीन काल से रही है। इन कलाओं को प्रस्तुत करने के लिए पहली बार सोमनाथ मंदिर के तट को चुना गया है, जो स्वयं ही भारत की एक अमूल धरोहर है।
आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत संगीत नाटक अकादमी भक्ति नृत्य और संगीत उत्सव “अमृत स्वरधारा” का आयोजन करने जा रही है। पांच दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में नई दिल्ली, मणिपुर, तमिलनाडु, नागालैंड, उड़ीसा, गुजरात और उत्तर प्रदेश के कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे।
इस अमृत स्वरधारा उत्सव में भारत के सभी कोनों से कई प्रमुख नृत्य कलाओं जैसे भरतनाट्यम, कथक, कुचिपुड़ी, कथकली, मोहिनीअट्टम, मणिपुरी, सत्रिया और ओडिसी जैसे पारंपरिक नृत्य दिखाए जाएंगे। इसके साथ ही संगीत नाटक अकादमी उत्तर-पूर्वी राज्यों के पारंपरिक नृत्यों जैसे पुंग चोलम, मणिपुर का ढोल नृत्य, ढोल चोलम, मयूरभंज छऊ नृत्य और ओडिशा के गोटीपुआ नृत्य से भी लोगों को रूबरू कराया जाएगा। इतना ही नहीं गरबा, डांडिया-रास और गुजरात के लोक नृत्य जैसे टिप्पनी, तेलंगाना का प्राचीन लोक नृत्य पेरनी तांडवम भी महोत्सव के दौरान प्रदर्शित किया जाएगा।
अमृत स्वधारा के दौरान संगीत क्षेत्र से भक्ति निर्गुण भजन, बुंदेलखंड का आल्हा गायन दर्शकों को सुनाया जाएगा। मध्ययुगीन मौखिक परंपराएं, महाभारत पर आधारित कथात्मक लोक गीत, पांडवानी और चेंडा मेलम, केरल राज्य का पारंपरिक ऑर्केस्ट्रा, महाराष्ट्र और उत्तराखंड के भक्ति गीत, नंदा जैसी अनेक मन मोहक प्रस्तुतियां दर्शकों को दिखाई जाएंगी।
अमृत स्वरधारा के आयोजन में जिला प्रशासन, गिर सोमनाथ, गुजरात सरकार और श्री सोमनाथ न्यास ट्रस्ट का भी विशेष सहयोग है। संगीत नाटक अकादमी की सचिव टेमसुनारो जमीर ने बताया कि यह आयोजन भारत और इसकी संस्कृति को संरक्षित करने की ओर एक सफल प्रयास साबित होगा। संगीत नाटक अकादमी अमूर्त संस्कृति को संरक्षित करने और लोगों को इसकी महत्ता बताने के लिए कई सफल प्रयास कर रही है। इस महोत्सव से आम जनता को भी भारत की आध्यात्मिक ताकत को जानने का मौका मिलेगा।
- इंफाल का पुंग चोलोम और ढ़ोल चोलोम, देवास का निर्गुणी भजन, रायबरेली का आल्हा गायन, रामनगर का पूजा कुनिथा, अहमदाबाद का भरतनाट्यम, हैदराबाद का कूचिपुड़ी और भुवनेश्वर का ओड़िसी नृत्य 26 मार्च 2022 को शाम 5:30 बजे से दिखाए जाएंगे।
- चेंडा मेलम, पंडवानी, मयूरभंज छऊ, सरायकेला छऊ, भरतनाट्यम, कथकलि और डांडिया रास 27 मार्च 2022 को शाम 5:30 बजे से दिखाए जाएंगे।
- गोटीपुआ, मणिपुरी, भरतनाट्यम, गायन बायन, सत्रिय, भागवत मेला और गरबा और रास 28 मार्च 2022 को शाम 5:30 बजे से दिखाए जाएंगे।
-पोवाड़ा, मयूर रास, पेरनी तांडवम, मोहिनीअट्टम, पुरुलिया छऊ और कुचिपुड़ी 29 मार्च 2022 को शाम 5:30 बजे से दिखाए जाएंगे।
- नंदा रज्जत, मयिलाट्टम, मणिपुरी रासलीला, कथक, यक्षगान और टिप्पाणी 30 मार्च 2022 को शाम 5:30 बजे से दिखाए जाएंगे।
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