लखनऊ : देश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच दारुल उलूम फिरंगी महल लखनऊ ने एक फतवा जारी किया है, जिसमें इस घातक संक्रमण के बारे में जानकारी छिपाने वालों को चेताया गया है। इसमें इस्लाम का हवाला देते हुए लोगों से ऐसा नहीं करने के लिए कहा गया है। दारुल उलूम का ये फतवा ऐसे समय में आया है, जब दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात के धार्मिक आयोजन को लेकर तमाम सवाल उठ रहे हैं और ऐसी बातें भी सामने आ रही हैं कि इसमें शामिल कई लोग न तो सामने आ रहे हैं और न कोरोना वायरस का टेस्ट कराने के लिए राजी हैं।
फतवे में क्या है?
मौलाना खालिद राशिद फिरंगी महली ने दारुल उलूम की ओर से जारी फतवे की जानकारी दी। उन्होंने बताया, 'दारुल उलूम फिरंगी महल लखनऊ की ओर से आज फतवा जारी किया गया है कि कोरोना वायरस का टेस्ट कराना और इसका उपचार सभी के लिए महत्वपूर्ण है। इस बीमारी के बारे में कोई भी बात छिपाना अपराध है। इस्लाम में अपनी या किसी की भी जिंदगी को खतरे में डालने की मनाही है।'
चर्चा में निजामुद्दीन मरकज
यह फतवा ऐसे समय में आया है, जबकि निजामुद्दीन मरकज में शामिल लगभग 400 लोगों में कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है। यहां लॉकडाउन से पहले करीब 8 हजार लोगों की भीड़ थी, जो देश के विभिन्न हिस्सों में भी गए। ऐसे में वहां इनके संपर्क में आए कई अन्य लोगों में भी संक्रमण का अंदेशा जताया जा रहा है। लगभग 2 हजार से अधिक लोगों को बीते तीन दिनों में निजामुद्दीन मरकज से बाहर निकाला गया है, जिनमें से कुछ को अस्पताल में तो कुछ को क्वारंटीन सेंटर्स में भर्ती कराया गया है।
तीमारदारों का टेस्ट कराने से इनकार
निजामुद्दीन मरकज में शामिल कई लोगों के तीमारदार टेस्ट कराने से इनकार कर रहे हैं और कह रहे हैं कि उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है। उनके इस रवैये से अस्पताल के कर्मचारियों के लिए भी खतरा बढ़ गया है। इससे पहले तुगलकाबाद क्वारंटीन सेंटर रखे गए ऐसे लोगों द्वारा डॉक्टर्स और वहां के कर्मचारियों के साथ बदसलूकी और उन पर थूकने की बातें भी सामने आई थीं।
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