Galwan Bloody clash: गलवान संघर्ष के दो साल बाद भी LAC के इन पॉइंट्स पर जारी है गतिरोध 

देश
शिवानी शर्मा
Updated Jun 14, 2022 | 21:28 IST

Bloody clash on LAC in Galwan:  पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की टुकड़ियों के गलवान घाटी में घुसने के दो साल बाद, पूर्वी लद्दाख में 1597 किलोमीटर  वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीनी सेना के बीच एक असहज गतिरोध बना हुआ है

Bloody clash on LAC in Galwan
एलएसी पर गलवान में हुए खूनी संघर्ष को पूरे दो साल हो चुके हैं 

एलएसी पर गलवान में हुए खूनी संघर्ष को पूरे दो साल हो चुके हैं इन 24 महीनों में भारतीय सेना ने एलएसी पर अपने जवानों और हथियारों की तैनाती में बड़े फेरबदल किए। भारत ने अपनी ताकत और सूझबूझ से पैंगोंग त्सो, गोगरा- हॉट स्प्रिंग के तनावपूर्ण इलाकों से चीन को डिसइंगेजमेंट के लिए मजबूर किया लेकिन अब भी पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कई ऐसे फ्रिक्शन पॉइंट है जहां भारत और चीन की सेना आमने सामने है। 15 दौर के बाद भी भारत और चीन की बातचीत कई फ्रिक्शन पॉइंट्स पर गतिरोध खत्म नहीं कर सकी है।

कई फ्रिक्शन पॉइंट्स पर तनाव जारी 

15 दौर की बातचीत के बावजूद लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर कई बिंदु ऐसे हैं जहां अब भी भारत और चीन की सेना है आमने सामने है यह दूरी कई बार इतनी कम हो जाती है एक और संघर्ष की स्थिति की आशंका बन जाती है।

कहां है पूर्वी लद्दाख में गतिरोध 

पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर मौजूद कोंगका ला पर अभी चीन की सेना एलएसी के बेहद नजदीक है यहां अब तक डिसएंगेजमेंट नहीं हो सका है इस इलाके को मिलिट्री नक्शे पर पेट्रोलिंग पॉइंट्स 15 के नाम से भी जाना जाता है। पीपी 15 के अलावा देपसांग प्लेन केला के पर भी के इलाके में भी पेट्रोलिंग को लेकर विवाद बना हुआ है भारत ने कई बार चीन को इस विवाद को सुलझाने के लिए पीछे हटने को कहा है लेकिन अब तक चीन डिस्इंगेजमेंट के लिए तैयार नहीं हुआ है।

तीसरी जगह जहां अब भी तनाव बरकरार है वह है डैमचौक का इलाका। डैमचौक में भी पीएलए और भारतीय सेना लगभग आमने-सामने है और यहां भी कई बार स्थिति बेहद संवेदनशील हो जाती है। इन इलाकों के अलावा पूर्वी लद्दाख में चीन अपनी अलग क्लेम लाइन का दावा करता है इस क्लेम लाइन पर कई ऐसे बिंदु हैं जहां चीन और भारत की सेना बेहद नजदीक है यहां भी कई बार डिफरेंस इन परसेप्शन का हवाला देते हुए चीन घुसपैठ की कोशिश करता है और भारतीय सेना उसे नियंत्रित करती है मगर स्थिति कई बार तनावपूर्ण हो जाती है।

अप्रैल 2020 की स्थिति पर लौटे चीन 

पिछले 25 महीनों में भारत और चीन के बीच 15 दौर की बातचीत की जा चुकी है जिसमें भारत हर बार चीन को अप्रैल 2020 के स्टेटस कुओ पर लौटने को कहता आया है 11 दौर की बातचीत के बाद फरवरी 2021 में भारत ने चीन को पेनगोन्ग झील के दक्षिणी छोर से पीछे हटने को मजबूर कर दिया था। जिसके बाद अगस्त 2021 में गोगरा हॉटस्प्रिंग इलाके से भी डिसएंगेजमेंट कामयाब रहा लेकिन अब भी चीन कई स्टैंड ऑफ प्वाइंट्स पर आक्रामक तेवर अपनाने की कोशिश करता है। भारतीय सेना चीन को नियंत्रित करते हुए लगातार डिसएंगेजमेंट पर जोर देती आई है।

 इंडियन आर्मी ने किया डेप्लॉयमेंट का पुनर्संतुलन 

 आज भी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर भारत और चीन के लगभग 60,000 सैनिक डिप्लॉयड है भारत ने इन 2 सालों में अपने जवानों और हथियारों की तैनाती को री बैलेंस किया है देश के पश्चिमी और उत्तरी मोर्चों से कई टुकड़ियों को पूर्वी लद्दाख में लाकर तैनात किया गया है। K9 वज्र के अलावा कई और बड़ी आर्टिलरी गन को पहली बार 15000 से ऊंची चोटियों पर पहुंचाया गया इंडियन एयरफोर्स नेवी पूर्वी लद्दाख में अपने लड़ाकू विमानों से सक्रिय निगरानी मिशन जारी रखा लेकिन अब भी भारत की कोशिश है की बातचीत से एलएसी के तनाव को सुलझाया जा सके।

 जल्द होनी है 16वें दौर की बातचीत 

31 मई को भारत और चीन के बीच डब्ल्यूएमसीसी की बैठक हुई जिसमें कमांडर लेवल वार्ता को आगे बढ़ाने पर सहमति जाहिर की गई इससे पहले मार्च में भारत और चीन के बीच 15 वे दौर की बातचीत हुई थी जिसमें फ्रिक्शन पॉइंट्स से डिसएंगेजमेंट पर कोई बात नहीं बन सकी थी अब एक बार फिर 16 वे दौर की बातचीत होनी है जिसमें भारत, दौलत बेग ओल्डी के नजदीक देपसॉन्ग, डैमचौक और कोंगका ला से डिसइंगेजमेंट के लिए जोर देगा।

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