Bal thackeray death anniversary : शिवसेना संस्थापक बाला साहब ठाकरे यानी बाल ठाकरे आज 9वीं पुण्यतिथि है। उन्होंने आज के ही दिन (17 नवंबर 2012) को इस दुनिया को अलविदा कहा था। बाल ठाकरे महाराष्ट्र में हिंदुत्व के सबसे बड़े चेहरा रहे। उनकी इमेज एक कट्टर हिंदू नेता के तौर पर रही। उन्होंने मुसलमानों को मुंबई से बाहर चले जाने को कहा था। खासकर वे बंग्लादेश से आने वाले मुस्लिम शरणार्थियों के खिलाफ थे। करीब 4 दशक तक महाराष्ट्र की राजनीति उनके इशारे पर घूमती रही। हमेशा चांदी के सिंहासन पर बैठते थे और अपनी शर्तों पर जीते थे। उनके एक इशारे में रात में ना थमने वाली मुंबई ठहर जाती थी।
बाल ठाकरे ने अपने करियर की शुरुआत एक पत्रकार और कार्टूनिस्ट के तौर पर की। उन्होंने 'द फ्री प्रेस जर्नल' से करियर की शुरुआत करने के बाद उनके कार्टून 'टाइम्स ऑफ इंडिया' में भी छपे। 1960 में उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी और 'मार्मिक' नाम से अपनी खुद की पॉलिटिकल मैगजीन शुरू की। उनका जन्म 23 जनवरी 1926 को केशव सीताराम ठाकरे के घर हुआ। वे अपने पिता की विचारधारा से प्रभावित थे। 1966 में उन्होंने शिवसेना के नाम से राजनीतिक पार्टी बनाई। उन्होंने अपनी विचारधारा आम जन तक पहुंचाने के लिए 1989 में 'सामना' नामक अखबार लॉन्च किए।
वे महाराष्ट्र को एक हिंदू राज्य बताते थे। उनकी छवि एक कट्टर हिंदू नेता के तौर पर रही और संभवत: इसी वजह से उन्हें हिंदू सम्राट भी कहा जाने लगा था। वे वैलेंटाइन डे को हिंदू धर्म और संस्कृति के लिए खतरा मानते थे।
बाल ठाकरे ने महाराष्ट्र में गुजरातियों, मारवाड़ियों और उत्तर भारतीयों के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ आंदोलन चलाया। बाल ठाकरे ने बाहर से आकर मुंबई बसने वाले लोगों के खिलाफ थे वे कहते थे महाराष्ट्र को सिर्फ मराठियों का है। उन्होंने यूपी-बिहार से आकर मुंबई में बसने वाले नेताओं और अभिनेताओं का भी विरोध किया था। उनकी शख्सियत इतनी बड़ी थी कि उसने मिलने के लिए क्या विरोधी क्या समर्थक सभी मिलने के लिए आतुर रहते थे।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 1995 में शिवसेना-बीजेपी गठबंधन पहली बार सत्ता में आई। सरकार में ना रहते हुए उन्होंने सभी फैसलों को प्रभावित किया। वे महाराष्ट्र के किंग मेकर थे। वर्तमान में शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी के साथ सत्ता में है। उनके बेटे उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं।
नफरत और डर की राजनीति करने की वजह से चुनाव आयोग ने बाल ठाकरे पर चुनाव लड़ने और वोट डालने पर प्रतिबंध लगा दिया था। चुनाव आयोग ने उन्हें 28 जुलाई 1999 को 6 साल तक के लिए चुनावों से अलग कर दिया था। बैन हटने के बाद 2005 में वोट डाल पाए।
वर्ष 1966 में बाला साहेब ठाकरे को दो झटेक लगे। 20 अप्रैल 1996 को उनके बेटे बिंदु माधव की सड़क हादसे में मौत हो गई जबकि, इसी साल सितंबर में उनकी पत्नी मीना का हार्ट अटैक से निधन हो गया। लेकिन ठाकरे ने हार नहीं मानी और मजबूती से आगे बढ़ते रहे।
Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।