चंडीगढ़। शुक्रवार को किसान संगठन के नेता और केंद्र सरकार के कृषि मंत्री वार्ता के टेबल पर थे। लेकिन नतीजा पहले की ही तरह रहा। यानी 11वें दौर की बातचीत अनिर्णयाक रहा। वार्ता के बाद किसान संगठनों ने केंद्र सरकार पर अपमान करने का आरोप लगाते हुए कि मंत्री जी सिर्फ 15 मिनट के लिए मुखातिब हो गए और किसान नेता करीब साढ़े तीन घंटे इंतजार करते रह गए। इन सबके बीच पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह ने बड़ा ऐलान किया है।
पंजाब सरकार का बड़ा ऐलान
सीएम अमरिंदर सिंह ने कहा कि मुझे रिपोर्ट मिली है कि तीन कृषि कानूनों के विरोध में 76 किसानों का निधन हो चुका है। आज, मैं घोषणा करता हूं कि हम पंजाब के एक परिवार के सदस्य को नौकरी देंगे, जो दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन में अपने प्राण खो चुके हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जिस तरह से हठवादी रवैया अपनाए हुई है उसे किसी भी रूप में उचित नहीं कहा जा सकता है।क्या इस देश में संविधान है, अनुसूची 7 के तहत कृषि राज्य का विषय है, आखिर केंद्र सरकार ने बिना किसी चर्चा के इसमें बदलाव क्यों किया। उन्होंने लोकसभा में संख्या बल के आधार पर कानून को पारित करा लिया। लेकिन राज्यसभा में हंगामे के बीच इसलिए बिल को पारित कराया गया क्योंकि सरकार को अहसास हो गया था कि कुछ गलत हो सकता है।
मोदी सरकार पर भड़के अमरिंदर सिंह
उन्होंने कहा कि जिस तरह से भीषण ठंड में किसानों की जान जा रही है उसे देखते हुए सरकार को बड़े हृदय से मामले को देखना चाहिए। एक तरफ मोदी सरकार अन्नदाताओं की भलाई की बात का दावा करती है तो दूसरी तरफ क्या कुछ हो रहा है सबके सामने हैं। अमरिंदर सिंह ने पूछा कि आखिर केंद्र सरकार हठवादी रवैया क्यों अपनाए हुई है। इस सवाल का जवाब पूरा देश जानना चाहता है। क्या कुछ खास लोगों को लाभ देने की नीयत से आनन फानन में अध्यादेश जारी किया गया और संसद में कानून पारित कर दिया गया। आज जब किसान दिल्ली की सीमा पर बैठे हुए तो देश जवाब जानना चाहता है।
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