'ताइवान ही तय करेगा कि अमेरिका सुपर पावर रहेगा या नहीं', चीन की धमकियों पर जानें रक्षा विशेषज्ञों की राय  

कर्नल (रि.) आरएसएन सिंह ने कहा, 'चीन के तेवर हमारे लिए आक्रामक रहे हैं। वह हमारा स्पर्धी है। हमारे दुश्मन देश के साथ उसकी साठ-गांठ है। अपने हितों को सुरक्षित रखने के लिए हमें अमेरिका के साथ जाना होगा। हमारे भी व्यापारिक जहाज दक्षि चीन सागर में जाते हैं। हम अपने व्यापार एवं जहाजों को चीन की मर्जी पर नहीं छोड़ सकते।

Defence expert says Taiwan will decide whether America will remain a super power or not
ताइवान को लेकर चीन -अमेरिका में तनाव बढ़ गया है।  
मुख्य बातें
  • अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर पेलोसी के ताइवान पहुंचने पर उनका भव्य स्वागत हुआ
  • पेलोसी के इस दौरे पर चीन बुरी तरह भड़क गया है, उसने कहा है कि इससे रिश्ते खराब होंगे
  • चीन की कहना है कि वह हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठ सकता, वह इसका जवाब देगा

China America standoff : ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन के बीच आई तल्खी टकराव और आपसी संघर्ष की ओर बढ़ती दिख रही है। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद चीन बौखला गया है और उसने अमेरिका और ताइवान दोनों को अंजाम भुगतने की चेतावनी दी है। ताइवान से लगती अपनी समुद्री सीमा पर उसने युद्धाभ्यास शुरू किया है और एयरपोर्ट पर लड़ाकू विमानों की तैनाती कर दी है। उसने धमकी दी है कि पेलोसी यदि ताइवान की यात्रा पर आती हैं तो वह 'हाथ पर हाथ रखकर' बैठा नहीं रहेगा। चीन की बयानबाजी और तैयारी देखकर ऐसा लगता है कि हालात युद्ध के बन रहे हैं। ताइवान पर चीन और अमेरिका के बीच टकराव पर रक्षा के जानकारों ने टाइम्स नाउ नवभारत से बातचीत में अपनी राय जाहिर की है। 

माहौल इतना बनाओ कि दुश्मन खुद सरेंडर कर दे-एसके तयाल
पू्र्व राजनयिक एसके तयाल ने कहा कि चीन युद्ध जैसे हालात बनाने का प्रोपगैंडा करता है। उसका मानना है कि माहौल ऐसा बनाओ कि दुश्मन खुद सरेंडर कर दे। हालात युद्ध की स्थिति तक पहुंचेंगे इसकी उम्मीद मैं नहीं कर रहा लेकिन चीन एक संदेश देने की कोशिश करेगा। हमें देखना होगा कि पूरे हिंद-प्रशांत में किसकी वजह से स्थिति तनावपूर्ण हो रही है। यह चीन है। वह यथास्थिति को एकतरफा बदलने की कोशिश कर रहा है। लद्दाख, गलवान घाटी, साउत चाइना सी में हर जगह वह यथास्थिति को बदलने की कोशिश कर रहा है। इस पूरे क्षेत्र की शांति एवं स्थिरता को वह अस्थिर कर रहा है। अमेरिका के बिना इस क्षेत्र में शक्ति का संतुलन नहीं हो सकता, यह भी वास्तविकता है।'

 ताइवान दूसरा यूक्रेन नहीं बनेगा-कर्नल सिंह
कर्नल (रि.) आरएसएन सिंह ने कहा, 'चीन के तेवर हमारे लिए आक्रामक रहे हैं। वह हमारा स्पर्धी है। हमारे दुश्मन देश के साथ उसकी साठ-गांठ है। अपने हितों को सुरक्षित रखने के लिए हमें अमेरिका के साथ जाना होगा। हमारे भी व्यापारिक जहाज दक्षि चीन सागर में जाते हैं। हम अपने व्यापार एवं जहाजों को चीन की मर्जी पर नहीं छोड़ सकते। अमेरिका सुपर पावर रहेगा या नहीं रहेगा यह इसी इलाके में तय होगा। ताइवान दूसरा यूक्रेन नहीं बनेगा। जापान में कभी अमेरिका के एक लाख सैनिक थे, आज  करीब 60 हजार जवान हैं। दक्षिण कोरिया में 25 हजार अमेरिकी सैनिक हैं। फिलिपींस, ऑस्ट्रेलिया, गुआम में अमेरिकी फौज है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद यहीं पर दुनिया का फोकस रहा है। यह इलाका बहुत खतरनाक है। ताइवान अमेरिका के लिए एक रणनीतिक एवं सामरिक मुद्दा है। ताइवान पर यदि हमला हुआ तो इसके दो सूरत होंगे। पहला यह कि या तो चीन दुनिया का अकेला महाशक्ति बनेगा या वह ताइवान के पाने की उसकी हसरत खत्म हो जाएगी।'

ताइवान को अपना हिस्सा मानता है चीन
साल 1949 के समय चीन में कम्यूनिस्ट पार्टी और वहां की सत्तासीन पार्टी कॉमिंगतांग में संघर्ष हुआ। इस संघर्ष में चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी की विजय हुई। अपनी हार होने के बाद कॉमिंगतांग पार्टी के लोग भागकर ताइवान चले गए। यहां उन्होंने अपना संविधान बनाया और लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार बनाई। ताइवान को चीन अपने एक प्रांत के रूप में देखता है। चीन का मानना है कि एक दिन यह प्रांत उसका हिस्सा होगा। चीन की इस सोच का ताइवान के लोग विरोध करते हैं। वे चीन के साथ आने के लिए तैयार हैं। चीन दुनिया के देशों पर दबाव देता है कि वे ताइवान को एक अलग देश के रूप में मान्यता न दें और उनकी 'वन चाइना पॉलिसी' का समर्थन करें। 

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