Heatwaves and Impact:अभी कुछ ही समय पहले क्रिश्चियन एड संस्थान की एक रिपोर्ट आई है "Scorched Earth: The impact of drought on 10 world cities" जिसमे बढ़ती गर्मी और हीटवेव्स (Heatwaves) के कारण दुनिया के 10 बड़े शहरों में खड़े होते जल संकट का जिक्र है। इस सूची में एक शहर नई दिल्ली भी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि अगर जैसा चल रहा है वैसा ही चलता रहा तो जल्द ही ये शहर जलबिहीन हो सकते हैं। रिपोर्ट में दक्षिण अफ्रीका के शहर केप टाउन का उदहारण बताया गया है की कैसे वहाँ 2018 में पानी ख़त्म हो गया था और इस प्रकार के हालत का सामना करने वाला वो पहला शहर था। केप टाउन में स्थिति इतनी बद्दतर हो गई थी की वहां सेना के संरक्षण में कुछ 200 सेंटर से हर व्यक्ति को मात्र 25 लीटर पानी देने तक की बात कही गई थी। रिपोर्ट के सह-लेखिका, नुसरत रहमान चौधरी कहती हैं कि: "सूखा पड़ना नया नहीं है, लेकिन ग्लोबल वार्मिंग के कारण पिछले 30 वर्षों में इसकी आवृत्ति में वृद्धि हुई है।"
2030 तक भारत के 21 शहर 'डे जीरो' की कगार पर
2018 में सेंटर फॉर साइंस ऐंड इन्वाइरनमेंट (सीएसई) की एक रिपोर्ट के मुताबिक बेंगलुरु और देश के ऐसे 21 शहर हैं जो 2030 तक 'डे जीरो' की कगार पर होंगे। 'डे ज़ीरो' से तात्पर्य है वह दिन जब किसी शहर के नल पूरी तरह से सूख जाते हैं।
पूरे विश्व का तापमान बढ़ रहा है
हाल के दिनों में आपने आपने शहर का तापमान बढ़ा हुआ महसूस किया होगा। देश के कई इलाकों में ये देखने को मिला। वैसे ये समस्या मात्र हमारे देश में ही नहीं है, विश्व के दुसरे भाग भी अमूमन यही झेल रहे हैं। पिछले हफ्ते यूरोप ने अत्यधिक गर्मी का सामना किया। कई इलाकों में पहली बार 40 डिग्री तापमान देखने को मिला। ब्रिटेन में गर्मी के कारण हालात ऐसे हो गए की राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करनी पड़ी। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization) ने भी तेजी से बदलती जलवायु के कारण भविष्य में हीटवेव की संख्या और अधिक बढ़ने की बात कही है।
पानी की कमी के साथ रहने की आदत डालनी होगी
पानी राज्य सूची का विषय है. केंद्रीय भूमि जल बोर्ड राज्यों के साथ मिलकर जल स्तर आदि की निगरानी करता है। अप्रैल 2018 में केंद्रीय मंत्री ने लोकसभा में केंद्रीय भूमि जल बोर्ड की रिपोर्ट में से एक जानकारी साझा की थी। इसमें बताया गया था की पिछले दशक (2007 to 2017) में देश के 61% कुओं का जल स्तर गिरा है। रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि चंडीगढ़ और पुडुचेरी में सबसे ज्यादा गिरावट देखी गई और 90-100% कुओं में पानी का स्तर गिरा पाया गया। इसके बाद तमिलनाडु और पंजाब में 87 फीसदी और 85 फीसदी और केरल, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में इस अवधि के दौरान 70% से अधिक की गिरावट देखी गई।
पृथ्वी का 70% हिस्सा पानी फिर क्यों बढ़ रही है ये परेशानी?
पृथ्वी का 70% भाग पानी से ढका हुआ जरूर है पर इसमें 97% से ज्यादा पानी खारा है. अर्थात ऐसा जो हम पीने के लिए उपयोग में नहीं ला सकते। मात्र 3% ही मीठा पानी है। उसमें से केवल 1.2 प्रतिशत ही पीने के पानी के रूप में उपयोग किया जा सकता है, बाकी पानी ग्लेशियरों, जमीन में समाया हुआ है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक दुनिया में 220 करोड़ से ज्यादा लोग ऐसे हैं जिनकी साफ और सुरक्षित पानी तक आसानी से पहुँच नहीं है, और समय के साथ ये तादात और बढ़ती जाएगी।
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