नई दिल्ली। 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हालत 2015 जैसी ही रही। एक बार फिर सभी बड़े उम्मीदवार धाराशाई हो गए और आंकड़ा शून्य पर सिमट गया। कांग्रेस के इस प्रदर्शन पर अलग अलग खेमों से अलग अलग तरह की आवाज आई मसलन हमारी झोली था ही क्या कि खाली है। अच्छा यह है कि दिल्ली की जनता ने बीजेपी को नकार दिया। लेकिन कुछ ऐसे भी नेता हैं जिन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर यह सब कब तक होता रहेगा।
दरअसल दिल्ली चुनाव के प्रभारी पी सी चाको ने कहा था कि कांग्रेस के पतन की शुरुआत 2013 में ही शुरू हो चुकी थी जब शीला दीक्षित सीएम थी। उस समय पार्टी के एक ऐसे मोड़ पर आ चुकी थी जहां से सुधार की गुंजाइश बची नहीं और वो तस्वीर आज भी हम सबके सामने है। उन्होंने कहा था कि यह सच है जिसे स्वीकार करना होगा। आखिर हम इस सच्चाई से कैसे मुंह मोड़ सकते हैं। यह बात अलग है कि कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में भूपेंद्र सिंह हुड्डा, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि दुख की बात है कि अपनी खामियों को छिपाने के लिए इस तरह की बात की जा रही है।
इन नेताओं ने कहा कि कितनी अजीब बात है कि चुनाव प्रचार में हम सब शीला दीक्षित की लीगेसी को लेकर लोगों के बीच में गए। कांग्रेस वाली दिल्ली का नारा बुलंद किया गया। उस समय वो लोग भी सहमत थे जो आज सवाल उठा रहे हैं। यह बात सच है कि पार्टी की न सिर्फ करारी हार हुई है बल्ति मतों के प्रतिशत में भी कमी दर्ज की गई है। यह देखना हम सबकी जिम्मेदारी है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि जिस शान के साथ कांग्रेस का झंडा बुलंद हुआ करता था आज वो झुका हुआ है।
Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।