नई दिल्ली: दिल्ली हिंसा पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने अस्पतालों को 11 मार्च तक किसी भी अज्ञात शव का अंतिम संस्कार नहीं करने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट ने अधिकारियों को सभी मृतकों के डीएनए नमूने सुरक्षित रखने का निर्देश दिया है। इसके अलावा सभी सरकारी अस्पतालों को दिल्ली हिंसा में मारे गए लोगों के पोस्टमॉर्टम की वीडियोग्राफी के निर्देश दिए गए हैं।
मामले की अगली सुनवाई बुधवार को होनी है। अदालत ने यह निर्देश एक व्यक्ति की ओर से दायर बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए। व्यक्ति का रिश्तेदार दंगों के बाद से लापता है और याचिकाकर्ता ने उसका पता ठिकाना मालूम करने के लिए अदालत में याचिका दाखिल की है। सुनवाई के दौरान पुलिस ने अदालत को बताया कि लापता व्यक्ति हमजा का शव गोकुलपुरी में एक नाले से सोमवार को बरामद किया गया था और उसका पोस्टमॉर्टम दिन में आरएमएल अस्पताल में किया जाएगा।
इसके अलावा हाई कोर्ट ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में हिंसा और नेताओं के घृणा भाषणों से संबंधित याचिकाओं को शुक्रवार को 12 मार्च के लिए सूचीबद्ध किया।
सुप्रीम कोर्ट ने हिंसा से पीड़ित 10 लोगों द्वारा दायर याचिकाओं पर दिल्ली हाई कोर्ट को 6 मार्च को सुनवाई करने का निर्देश दिया था। पीड़ित लोगों ने कथित तौर पर नफरत भरे भाषणों को लेकर नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है। इस संबंध में सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने पहले अप्रैल में तारीख दी थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम उच्च न्यायालय से अनुरोध करते हैं कि इन मामलों से तेजी से निपटें। हमें लगता है कि इतनी लंबी अवधि का स्थगन अनुचित है। हमारा विचार है कि न्याय के हित में मामलों को शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष सूचीबद्ध किया जाना चाहिए।
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