दो अलग अलग दलों के दो खास चेहरे इस समय कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे हैं। एनसीपी के कद्दावर नेता नवाब मलिक मुंबई की जेल में और आम आदमी पार्टी के कद्दावर नेता सत्येंद्र जैन दिल्ली की जेल में बंद हैं। दोनों के ऊपर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है और दोनों अपनी अपनी सरकारों में मंत्री हैं। विपक्षी दल मांग कर रहे हैं कि दागी लोग मंत्रिमंडल का हिस्सा कैसे हो सकते हैं तो इन दलों का तर्क है कि जब तक सजा ना मिले कोई दोषी नहीं होता। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दोनों को मंत्रिमंडल से बर्खास्तगी की मांग की गई है।
इस आधार पर अर्जी दायर
अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर याचिका में दो दिनों से अधिक की न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद मंत्रियों को अस्थायी रूप से पद संभालने से रोकने का निर्देश देने की मांग की गई है।याचिका में केंद्र और राज्यों को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है कि एक मंत्री, जो न केवल एक सार्वजनिक व्यक्ति है, बल्कि एक कानून निर्माता भी है, और संवैधानिक शपथ लेता है, उसे 2 दिनों की न्यायिक हिरासत में रहने के बाद अस्थायी रूप से पद से हटा दिया जाएगा।उपाध्याय ने अपनी याचिका में महाराष्ट्र सरकार को अपने कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक को बर्खास्त करने का निर्देश देने की भी मांग की है, जिन्हें 23 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था, और काले धन, बेनामी संपत्तियों, मनी लॉन्ड्रिंग और आय से अधिक संपत्ति और माफिया डॉन दाऊद के साथ संबंधों के मामलों में न्यायिक हिरासत में जारी है।
31 मई को जैन की हुई थी गिरफ्तारी
दिल्ली सरकार को 31 मई को गिरफ्तार किए गए सत्येंद्र जैन को बर्खास्त करने के लिए भी निर्देश देने की मांग की गई है, और काले धन, बेनामी संपत्तियों, भूत कंपनियों, मनी लॉन्ड्रिंग और आय से अधिक संपत्ति के मामलों में न्यायिक हिरासत में हैं। जैन की गिरफ्तारी पर आम आदमी पार्टी का आरोप है कि हिमाचल प्रदेश में हार की डर से बीजेपी ने ईडी पर बेजा दबाव डाला था।
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