Jharkhand Rope Way: झारखंड के देवघर में हुए रोप-वे हादसे पर राज्य के हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। कोर्ट ने इस मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं। और पूरे मामले पर वह 26 अप्रैल को सुनवाई करेगा। इसके अलावा राज्य सरकार को हाई कोर्ट में सुनवाई के पहले हलफनामे के जरिए एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपनी होगी। जिससे कि दुर्घटना के कारणों और दूसरी जरूरी चीजों का पता चल सके। रविवार को हुए इस हादसे में 48 लोग रोप-वे के केबिन में फंस गए थे। इस हादसे में 3 लोगों की मौत हो गई है। और अभी 5 लोग फंसे हुए हैं।
तीसरे दिन पहुंचा बचाव ऑपरेशन
रविवार शाम को हुए हादसे के बाद से बचाव कार्य जारी है। और आपरेशन का आज तीसरा दिन है। रेस्क्यू टीम के इंचार्ज अश्निनी नायर ने बताया है कि आज दोपहर तक लगभग सभी फंसे हुए लोगों को रेस्क्यू ऑपरेशन के द्वारा निकाल दिया जाएगा। रेस्क्यू ऑपरेशन ठीक चल रहा है।"केबिन कारों के आपस में टकरा जाने से 12 केबिन हवा में अटक गए थे। जिसकी वजह से 48 लोगों फंस गए थे। बचाव कार्य में एनडीआरएफ, वायुसेना और भारतीय सेना बचाव कार्य कर रही है। जांच टीम गठित की जाएगी जान बचाना हमारी प्राथमिकता है।
इसी बीच केबिन में फंसे लोगों को हेलिकॉप्टर से मदद पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। और लोगों को ड्रोन आदि के जरिए खाना पहुंचाया जा रहा है। हादसे के सटीक कारण का अभी पता नहीं चल पाया है शुरूआती जांच से ऐसा लगता है कि यह घटना तकनीकी खराबी के कारण हुई, जिसके चलते केबल कारों की टक्कर हुई।
झारखंड सरकार पर उठ रहे हैं सवाल
झारखंड टूरिज्म के अनुसार त्रिकूट रोपवे भारत का सबसे ऊंचा वर्टिकल रोपवे है। और जिस तरह वहां पर हादसा हुआ और उसके बाद बचाव अभियन चला, उसकी वजह से झारखंड सरकार पर भी सवाल उठ रहे हैं। बाबा बैद्यनाथ मंदिर से करीब 20 किमी दूर स्थित रोपवे करीब 766 मीटर लंबा है, जबकि पहाड़ी 392 मीटर ऊंची है। रोपवे में 25 केबिन हैं। प्रत्येक केबिन में चार लोग बैठ सकते हैं। घटना के बाद रोपवे प्रबंधक व अन्य कर्मचारी मौके से फरार हो गए।
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