श्रीनगर : जम्मू कश्मीर से सटे सीमावर्ती इलाकों पाकिस्तान किस तरह आतंकवाद और घुसपैठ का बढ़ावा देता है, यह कोई छिपी बात नहीं रह गई है। हालांकि इस साल पाकिस्तान की कोई चाल कामयाब नहीं हुई और सुरक्षा बलों को आतंकियों के खिलाफ महत्वपूर्ण कामयाबी हाथ लगी। सुरक्षा बलों की मुस्तैदी का ही नतीजा रहा कि जम्मू कश्मीर से करीब 70 फीसदी आतंकियों का सफाया किया जा चुका है या उन्हें गिरफ्तार किया जा चुका है।
जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेश दिलबाग सिंह ने साल 2020 के आखिरी दिन गुरुवार, 31 दिसंबर को इस केंद्र शासित क्षेत्र में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और घुसपैठ को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान की तमाम कोशिशों के बावजूद इस साल घुसपैठ के मामले पिछले तीन-चार वर्षों के मुकाबले सबसे कम रहे। इसलिए आतंकियों को अपने स्थानीय आकाओं पर निर्भर रहना पड़ा। आतंकियों तक हथियार, विस्फोटक सामग्रियां, नकद पहुंचाने के लिए ड्रोन तक का इस्तेमाल किया गया, लेकिन इनमें से अधिकांश को सुरक्षा बलों ने नष्ट कर दिया।
उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में इस साल साल 2018 और 2019 के मुकाबले आतंकवाद से संबंधित घटनाओं में महत्वपूर्ण कमी आई है। जम्मू क्षेत्र का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जहां इस क्षेत्र में पहले दर्जनों आतंकी सक्रिय रहते थे, वहीं अब इनकी संख्या घटकर महज तीन रह गई है। वे किश्तवाड़ जिले में हैं और हम उनके बारे में पता लगा रहे हैं।
जम्मू कश्मीर के डीजीपी ने हालांकि माना कि इस साल आतंकी संगठनों से जुड़ने वालों की संख्या थोड़ी अधिक रही, लेकिन इस संबंध में एक सकारात्मक बात यह रही कि 70 प्रतिशत से अधिक आतंकियों का या तो सफाया कर दिया गया या फिर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
उन्होंने कहा कि इस साल जम्मू कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ 100 से अधिक सफल ऑपरेशन चलाए गए, जिसमें 225 आतंकियों का खात्मा किया गया। इनमें 207 कश्मीर क्षेत्र से हैं, जबकि 18 जम्मू क्षेत्र से हैं।
उन्होंने जम्मू कश्मीर पुलिस में इस साल कोविड-19 की चपेट में आनेवाले पुलिसकर्मियों के बारे में भी बताया और कहा कि अब तक ड्यूटी करते हुए 15 पुलिसकर्मियों की जान कोविड-19 के कारण गई है, जबकि करीब 3,500 पुलिसकर्मी कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं।
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