दिग्विजय सिंह, कांग्रेस के कद्दावर चेहरों में से एक करीब करीब सभी विषयों पर बयान देते हैं। खासतौर से जब पीएम मोदी उनके निशाने पर होते हैं तो बयान कुछ ज्यादा ही तीखे होते हैं। वो पीएम मोदी की नीतियों की आलोचना के साथ उनकी तुलना हिटलर से करते है। आर्थिक मोर्चा, घरेलू विषय के साथ साथ वैदेशिक नीति पर भी आलोचना करने में पीछे नहीं रहते।
'हिटलर की तरह हैं पीएम मोदी'
दिग्विजय सिंह ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि हर एक तानाशाह शासक दानव और दुश्मनों का निर्माण सिर्फ इसलिए करता है कि उसके डर से उसका फायदा हो। यही सब कुछ हिटलर ने किया था जो आज मोदी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में क्या हो रहा है। नफरत की खेती की जा रही है। सिर्फ अपने फायदे के लिए एक ऐसा माहौल बनाया जा रहा है जिसमें कुछ लोगों को बड़ी आसानी ने देशद्रोही साबित करने की कोशिश की जा रही है।
अब तस्वीर बदल गई है
दिग्विजय सिंह ने कहा कि अगर आप सिर्फ 20 साल पहले की बात करें तो जो तस्वीर दिखती है, समाज वैसा नहीं था। आपस में मनुमटाव होते थे लेकिन इसका अर्थ यह नहीं था कि लोगों को अपनी देशभक्ति का सबूत देना पड़ता था। दरअसल बीजेपी के सत्ता में आने के बाद उसके मार्गदर्शक संगठन भारत के सामाजिक ताने बाने को बदलने में जुट गए हैं। सुनियोजित तरीकों से या सो संवैधानिक संस्थाओं और एजेंसियों का गला घोंटा जा रहा है या उन्हें बदनाम किया जा रहा है।
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क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का कहना है कि दिग्विजय सिंह जब इस तरह की शब्दावली का प्रयोग करते हैं तो अतीत में कई तरह की ऐसी घटनाएं जिसका जिक्र अपने आप होने लगता है। जनता को लगता है कि नैतिक तौर कांग्रेस को आरोप लगाने की शैली से बचना चाहिए। लेकिन 2000 के बाद जो नए मतदाता जुड़े उन्हें कांग्रेस समझाने की कोशिश करती है कि वो ही सिर्फ एक ऐसी पार्टी है जो समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलने की कोशिश करती है। दिग्विजय सिंह के बयानों की गंभीरता इसी बात से समझी जा सकती है कि विवाद जब गहराने लगता है तो कांग्रेस पार्टी खुद उनके बयानों से किनारा कर लेती है।
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