आरएलडी में टिकट बंटवारों को लेकर घमासान, भाजपा ने जाट नेताओं को उतार गठबंधन में बढ़ाई दरार !

देश
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated Jan 20, 2022 | 13:33 IST

UP Assembly Election 2022: पश्चिमी यूपी में उम्मीदवारों के ऐलान से सपा-आरएलडी गठबंधन में दरार आ गई है। आरएलडी कार्यकर्ताओं को लग रहा है टिकटों के वितरण में अखिलेश यादव ने जयंत चौधरी की अनदेखी की है।

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टिकट बंटवारे से आरएलडी कार्यकर्ता नाराज  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • पश्चिमी यूपी में 55 सीटें ऐसी हैं, जहां पर जाट-मुस्लिम फैक्टर सीधे तौर पर काम करता है।
  • आरएलडी कार्यकर्ताओं में मेरठ-बागपत-शामली-मुज्जफरनगर में उम्मीदवारों के चयन को लेकर भारी नाराजगी है।
  • आरएलडी कार्यकर्ताओं की नाराजगी का करीब 20 सीटों पर सीधा असर पड़ सकता है।

नई दिल्ली:  23 नवंबर को जब समाजवाजी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव  ने राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी ) के नेता जयंत चौधरी के साथ बदलाव की ओर लिखकर फोटो ट्वीट की थी, तो उनका संकेत साफ था कि अब दोनों दल मिलकर, यूपी में भाजपा की सरकार के खिलाफ जीत हासिल करेंगे। लेकिन पश्चिमी यूपी में उम्मीदवारों के ऐलान होते ही दोनों दलों के बीच दरार बनती दिखने लगी है। 

खास तौर से कई आरएलडी के कार्यकर्ता अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि सीटों के बंटवारे में उनके नेता जयंत चौधरी को कम अहमियत दी गई है। रसूख वाली सीटें सपा नेताओं के पास चली गई हैं। और रही-सही कसर भाजपा ने पूरी कर दी है। पार्टी ने मेरठ-बागपत की 10 में से 5 सीटों पर जाट उम्मीदवार उतार दिए हैं। जबकि रालोद ने केवल 3 सीटों पर जाट उम्मीदवार उतारे हैं। रालोद के एक नेता का कहना है कि सीटों के बंटवारे से साफ है कि अखिलेश यादव ने अभी से अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है।

मेरठ-मुजफ्फर नगर-बागपत-शामली में असंतोष

एक सूत्र के अनुसार राष्ट्रीय लोकदल का गढ़ मेरठ, मुजफ्फरनगर और बागपत है। लेकिन उम्मीदवारों के ऐलान में कार्यकर्ताओं को लग रहा है कि उनके नेता का कद घटा दिया गया है। अखिलेश यादव ने बड़ी चालाकी से रालोद के टिकट पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। ऐसे में रालोद का कार्यकर्ता जो 5 साल से और किसान आंदोलन में हर तरह से मेहनत कर रहे थे, उनकी अनदेखी कर दी गई है।

मुजफ्फर नगर में भी इसी तरह टिकट बंटवारे में अनदेखी की गई है। जिले की हर विधानसभा सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या एक लाख से ज्यादा है। वहां पर बुढाना सीट छोड़कर सारी सीटें समाजवादी पार्टी को मिल गईं। जबकि गढ़ रालोद का है। और उस पर मुस्लिम नेताओं की अनदेखी की गई है। वहां मुजफ्फरनगर, चरथावल, मीरापुर, पुरकाजी,खतौली सीट पर एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारे गए। जबकि बसपा ने चरथावल, मीरापुर, बुढ़ाना,खतौली सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार उतार दिए हैं।

कार्यकर्ताओं का कहना है कि जब हमारे गढ़ में लोकदल के नेताओं को टिकट नहीं दिया, तो चुनाव बाद कार्यकर्ता अपनी समस्याओं के लिए क्या लखनऊ दिल्ली जाएंगे। इसी तरह मेरठ और बागपत की 10 विधानसभा सीटों का हाल है। मेरठ में 7 और बागपत में 3 विधानसभा सीटें हैं। मेरठ में जाटों  की संख्या ज्यादा है लेकिन सपा ने किठौर, सिवालखास , मेरठ से मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दे दिया है। साफ है वहां पर आरएलडी की अनदेखी की गई है। इसके अलावा मेरठ कैंट से मनीषा अहलावत को टिकट देने से नाराजगी है।

ऐसा ही हाल शामली में भी हुआ है। वहां से आरएलडी ने भाजपा से आए प्रसन्न चौधरी को टिकट दिया है। इस बात को लेकर भी कार्यकर्ताओं में  नाराजगी है। क्योंकि वह किसान बिल का समर्थन रहे थे। सपा-रालोद गठबंधन के तहत 32 सीटें रालोद को मिली हैं। इसमें से 8 सीटों पर सपा के उम्मीदवार रालोद के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ रहे हैं।

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भाजपा ने भी उतारे जाट  उम्मीदवार

इस बीच भाजपा ने किसान आंदोलन के बाद जाट समुदाय में उपजी नाराजगी को दूर करने के लिए कई जाट नेताओं को पश्चिमी यूपी से मैदान में उतारा है। इसकी वजह से रालोद कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। उनका कहना है कि आरएलडी से ज्यादा भाजपा ने टिकट दिए हैं। भाजपा ने मृगांका सिंह, उमेश मलिक, कृष्णपाल सिंह मलिक सहित कई जाट नेताओं को मैदान में उतारा है। भाजपा ने मेरठ-बागपत में 10 में से 5 जाट नेताओं को मैदान में उतारा है।

करीब 20 सीटों पर दिख सकता है असर

आरएलडी कार्यकर्ताओं ने जिस तरह से टिकट बंटवारे को लेकर नाराजगी दिखाई है। उसे पश्चिमी यूपी की करीब 20 सीटों पर सीधे असर पड़ सकता है। पार्टी के एक नेता का कहना है कि यह नाराजगी किस ओर बढ़ेगी, यह अगले 3-4 दिन में साफ हो जाएगा। लेकिन एक बात तो तय है कि आरएलडी कार्यकर्ताओं में इस बात को लेकर असंतोष है कि उम्मीदवारों के चयन में अखिलेश यादव , जयंत चौधरी पर भारी पड़ गए हैं।

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