वो कभी साथ थे। लेकिन अब अलग हैं। सियासत का तो यही दस्तूर है जब तक साथ अच्छी बात, जब अलग हुए तो कड़वी और चुभने वाली बात। कांग्रेस के नेता रहे गुलाम नबी आजाद कुछ दिनों में अलग राजनीतिक दल का ऐलान करने वाले हैं। उससे पहले उनके निशाने पर यदि कोई दल है तो वो कांग्रेस है। राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि वो उनकी तरह किसी पर व्यक्तिगत टीकाटिप्पणी नहीं करते हैं। जब वो सदन में सात साल तक नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में थे तो मोदी सरकार की नीतियों का विरोध करने से नहीं चूके। लेकिन कांग्रेस का कहना है कि मौसमी बदलाव हो चुका है।
गुलाम नबी आजाद ने क्या कहा
'जी-23 के बाद बीजेपी से जोड़ा गया'
जयराम रमेश ने कहा कि जलवायु परिवर्तन हुआ है और अब वह भाजपा के एक भरोसेमंद सिपाही बन गए हैं। गुलाम नबी आजाद ने फिर राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि जी-23 बनने के बाद राहुल गांधी ने उन्हें बीजेपी से जोड़ना शुरू कर दिया था। "जब हमने पूर्णकालिक अध्यक्ष की मांग करते हुए पत्र लिखा, तो वे भड़क गए और झूठ फैलाया कि यह पीएम मोदी के इशारे पर लिखा गया था। झूठ कांग्रेस कार्य समिति और उनके नेताओं की तरफ से शुरू हुआ। मैंने कहा कि पीएम मोदी पागल नहीं हैं कि वह हमसे कांग्रेस को मजबूत करने के लिए कहेंगे।
'कोई हुक्म नहीं दे सकता'
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि उन्हें कोई हुक्म नहीं दे सकता। उनके खिलाफ कोई मामला नहीं है और एक भी एफआईआर नहीं है। उनके पास धन नहीं है। वो किसी से क्यों डरूं?'' गुलाम नबी आजाद ने भाजपा से कथित संबंधों पर कहा कि वो संसद में 7 साल तक पीएम मोदी के पास बैठे रहे और उनकी नीतियों की तीखी आलोचना की। फर्क बस इतना है कि वो व्यक्तिगत हमले नहीं करते। वो नीतियों पर हमला करते हैं, व्यक्तियों पर नहीं क्योंकि अल्लाह व्यक्तियों को बनाता है।
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