नई दिल्ली : यूक्रेन से जंग के बीच रूस कई वैश्विक प्रतिबंधों का सामना कर रहा है, लेकिन इसका असर भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार पर नहीं पड़ा है। इस बीच अमेरिका की ओर से ऐसे कुछ बयान आए हैं, जिसे भारत-रूस के बीच सहयोग को लेकर दबाव की रणनीति के तौर पर देखा गया, लेकिन भारत ने आज (गुरुवार, 7 अप्रैल) स्पष्ट कर दिया कि उसका ध्यान रूस के साथ अपने स्थापित आर्थिक संबंधों को बनाए रखने और स्थिर करने पर है।
भारत-रूस संबंधों को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को कहा, 'हमने रूस के साथ आर्थिक संबंध स्थापित किए हैं। हमारा ध्यान मौजूदा हालात में इन संबंधों को स्थिर करने पर है। हम इसे लेकर बहुत खुले रहे हैं। मुझे लगता है कि हमारी स्थिति के बारे में यह बहुत स्पष्ट है।'
उनका यह बयान अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दलीप सिंह के उस धमकीभरे बयान पर आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि रूस के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों में गतिरोध पैदा करने वाले देशों को अंजाम भुगतना होगा।
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रूस के साथ व्यापार पर पश्चिमी देशों के दबाव को लेकर पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'ऐसा मत सोचें कि किसी तरह का दबाव है। प्रतिबंधों की बात चल रही है, लेकिन यह पूरे व्यापार पर नहीं है। खूब व्यापार हो रहा है, तेल का भी व्यापार हो रहा है। हमारा ध्यान रूस के साथ अपने स्थापित आर्थिक संबंधों को बनाए रखने और स्थिर करने पर है।'
उन्होंने श्रीलंका के मौजूदा हालात और चीनी हैकर्स द्वारा लद्दाख के पास भारतीय बिजली वितरण केंद्रों को निशाना बनाए जाने की रिपोर्ट पर भी प्रतिक्रिया दी। लद्दाख के पास भारतीय बिजली वितरण केंद्रों को निशाना बनाने की चीनी हैकर्स की कोशिश पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'हमारे पास महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिए एक प्रणाली और तंत्र मौजूद है। बिजली मंत्रालय ने इस मामले में टिप्पणी की है।' यहां गौर हो कि चीनी हैकर्स की कोशिश सफल नहीं हुई।
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वहीं, श्रीलंका को घनिष्ठ मित्र करार देते हुए भारत ने कहा कि वह संकट की इस घड़ी में उसके साथ खड़ा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'भारत और श्रीलंका के संबंध हमारे लोगों की साझा सभ्यता, मूल्यों और आकांक्षाओं में निहित हैं। हाल के महीनों में समानता और रुचि पर आधारित हमारे सहयोग को मजबूत किया गया है। हम हाल के घटनाक्रम को इस परिप्रेक्ष्य में देखते हैं।'
उन्होंने कहा, 'हम पड़ोसी और करीबी दोस्त हैं। आर्थिक स्थितियों के साथ-साथ अन्य घटनाएं भी हुई हैं। हमने पिछले 2-3 महीनों के दौरान लगभग 2.5 अरब डॉलर की सहायता श्रीलंका को प्रदान की है। इसमें ईंधन और भोजन के लिए ऋण सुविधाएं भी शामिल हैं, जिनकी इस वक्त श्रीलंका को सबसे अधिक आवश्यकता है।'
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उन्होंने यह भी कहा कि मार्च के मध्य से 270,000 मीट्रिक टन से अधिक डीजल और पेट्रोल श्रीलंका को दिया गया है। इसके अलावा 40,000 टन चावल की आपूर्ति हाल ही में विस्तारित 1 अरब डॉलर की ऋण सुविधा के अतिरिक्त की गई है।
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