समाजवादी पार्टी ने आज राजभर और शिवपाल दोनों को सियासी तलाक दे दिया। समाजवादी पार्टी की तरफ से दोनों नेताओं को आज एक-एक चिट्ठी लिखी गई। और कहा गया कि आप अपने राजनीतिक फैसलों के लिए स्वतंत्र हैं। सवाल ये है कि अब जब 2022 की दोस्ती टूट चुकी है तो 2024 में कौन किसके साथ जाएगा? यूपी का नया सियासी समीकरण क्या बनने वाला है। वो साल दूसरा था, ये साल दूसरा है। यूपी की राजनीति में पिछले एक साल में इतना पानी बह चुका है जितना पानी गंगा में नहीं बहा होगा।
पिछले साल जुलाई में अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाने की बात कसम खाने वाले ओपी राजभर और भतीजे की बस पर सवार चाचा शिवपाल यादव को आज समाजवादी पार्टी ने मुक्त कर दिया। जिस बात का अनुमान पिछले 3 महीने से लगाया जा रहा था वो आज हो गया। राजभर बोले उन्होंने तलाक दे दिया और हमने उसे मंजूर कर लिया है।
पिछले कुछ दिनों से राजभर और शिवपाल यादव दोनों अखिलेश पर खूब हमले कर रहे थे, आज समाजवादी पार्टी ने दो पत्र जारी किए। पहले ओपी राजभर को लिखी चिट्ठी को पढ़िए। ओमप्रकाश राजभर जी, समाजवादी पार्टी लगातार भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ लड़ रही है। आपका भारतीय जनता पार्टी के साथ गठजोड़ है और लगातार भारतीय जनता पार्टी को मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं। अगर आपको लगता है कहीं ज्यादा सम्मान मिलेगा तो वहां जाने के लिए आप स्वतंत्र हैं। इधर राजभर के नाम तलाक की चिट्ठी आई, उधर उन्होंने भी तुरंत इसे मंजूर कर लिया। साथ ही साथ अखिलेश यादव को जुबानी उपाहर भी खूब दिए।
सपा के लेटर के बाद ओम प्रकाश राजभर ने टाइम्स नाउ नवभारत की खबर पर लगाई मुहर, कहा कि बसपा के साथ करेंगे गठबंधन, बातचीत का दौर शुरू हो रहा है। अखिलेश के नवरत्नों ने उन्हें बर्बाद किया है, हमारे साथ गठबंधन का धर्म नहीं निभाया, कहीं कोई सलाह नहीं की, आजमगढ़ में बसपा के साथ होता तो जीत जाती बसपा। अखिलेश MY से बाहर नहीं आ पा रहे हैं, बाकी जातियों की हिस्सेदारी के नाम पर चुप्पी साध लेते हैं।
राजभर के अलावा समाजवादी पार्टी ने शिवपाल यादव के लिए भी आज मुक्त कर दिया। डेढ़ लाइन की एक चिट्ठी उनके लिए भी लिखी गई। जिसमें कहा कि माननीय शिवपाल यादव जी, अगर आपको लगता है, कहीं ज्यादा सम्मान मिलेगा तो वहां जाने के लिए आप स्वतंत्र हैं।
समाजवादी पार्टी की चिट्ठी आई, तो मानो शिवपाल यादव की खुशी का ठिकाना ना रहा, भतीजे की चिट्ठी का उन्होंने तुरंत जवाब दिया और लिखा कि मैं वैसे तो सदैव से ही स्वतंत्र था, लेकिन समाजवादी पार्टी द्वारा पत्र जारी कर मुझे औपचारिक स्वतंत्रता देने हेतु सहृदय धन्यवाद। राजनीतिक यात्रा में सिद्धांतों एवं सम्मान से समझौता अस्वीकार्य है।
ये तो आज की खबर थी लेकिन सियासी तलाक की प्रक्रिया यूपी चुनाव के ठीक बाद शुरू हो गई थी। यूपी में विधानसभ चुनाव के बाद शिवपाल यादव को उम्मीद थी कि उन्हें सदन में विपक्ष का नेता बनाया जाएगा, जब ये पद अखिलेश ने खुद ले लिया तो नाराज रहने लगे।
इधर तब तक राज्यसभा चुनाव आ गया, अखिलेश ने अपने कोटे से एक सीट आरएलडी के जयंत चौधरी को दे दी। राजभर ने अपने लिए एक सीट मांगी, अखिलेश ने भाव नहीं दिया। राज्यसभा के बाद विधानपरिषद का चुनाव आया, राजभर को उम्मीद थी कि MLC की एक सीट तो मिल ही जाएगी। लेकिन अखिलेश ने इस बार भी भाव नहीं दिया। इसके बाद तो जैसे तय था कि राजभर अखिलेश को तलाक देने के लिए तैयार थे लेकिन शुरुआत समाजवादी पार्टी की ओर से चाहते थे। इस बीच आजमगढ़ और रामपुर के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी की हार हुई, तो राजभर ने कह दिया कि अखिलेश AC में बैठकर राजनीति करते हैं। ऐसे तो राजनीति नहीं होगी।
राष्ट्रपति चुनाव में ये झगड़ा और बढ़ा, अखिलेश ने यशवंत सिन्हा के समर्थन में बैठक की, इसमें ना राजभर को और ना ही शिवपाल को, दोनों में से किसी नहीं बुलाया, जबकि जयंत चौधरी को न्योता दिया गया। इससे राजभर इतने नाराज हो गए कि उन्होंने अमित शाह से मुलाकात कर ली और NDA उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन का ऐलान कर दिया। और आरोप लगाया कि हमें जब पूछा नहीं गया तो हम यशवंत सिन्हा को समर्थन क्यों देते।
यशवंत सिन्हा जी और उनके वोट दिलाने वाले लोगों ने मुझसे आजतक वोट मांगा ही नहीं और इधर द्रौपदी जी ने वोट मांगा, मुख्यमंत्री जी ने वोट मांगा। गृहमंत्री जी ने वोट मांगा, वित्त मंत्री जी ने वोट मांगा, इधर तो वोट मांग रहे हैं उधर तो मांग ही नहीं रहे हैं।
लेकिन दावा किया जाता है कि राजभर और समाजवादी पार्टी के बीच तलाक में एक गाड़ी का चक्कर भी है। आरोप है कि चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी की ओर से ओपी राजभर की पार्टी को एक फॉर्च्यूनर दिया गया था, जिसे अखिलेश यादव ने राजभर की पार्टी से ले लिया। इससे राजभर नाराज हो गए। हांलाकि राजभर फॉर्च्यूनर लेन देन की बात से इनकार करते हैं।
ओमप्रकाश राजभर ने फॉरचुनर गाड़ी सपा द्वारा वापस मांगने के मामले में कहा है हमें सपा की तरफ से कोई गाड़ी कभी नही दी गई। मैं अपनी इनोवा गाड़ी से चलता हूं। सपा के कुछ चिरकुट लोग इस तरह की अफवाह फैला रहे है।
सच क्या है ये क्या तो समाजवादी पार्टी जानती है या फिर ओपी राजभर। चुनाव के वक्त साथ आए तीन साथी अब तक अखिलेश यादव से दूर हो चुके हैं। इसका असर शायद अभी पता ना चले लेकिन 2024 के चुनाव में एक बार फिर से अखिलेश को दोस्तों को जरूरत पड़ सकती है।
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