नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने अपने बीमार पिता को किडनी दान करने की इच्छा जताने वाले मादक पदार्थ मामले के एक आरोपी को जरूरत पड़ने पर आवश्यक चिकित्सा जांच के लिए जेल से अस्पताल ले जाने की अनुमति दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी अगर किडनी दान करने के योग्य पाया जाता है और संबंधित सरकारी मेडिकल कॉलेज की समिति प्रतिरोपण की मंजूरी दे देती है तो वह मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में अंतरिम जमानत के लिए अर्जी दे सकता है और अदालत ‘सहानुभूतिपूर्वक इस पर विचार’ करेगी।
न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी की पीठ ने आरोपी की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। याचिका में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के इस साल जून में दिए एक आदेश को चुनौती दी गयी है। हाई कोर्ट ने मामले में आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
याचिकाकर्ता के वकील ने शीर्ष अदालत को बताया कि उसके पिता की किडनी ने काम करना बंद कर दिया है और उन्हें किडनी प्रतिरोपण की आवश्यकता है। वकील ने पीठ को बताया था कि याचिकाकर्ता अपने बीमार पिता को अपनी किडनी दान देना चाहता है।
राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप संगीन हैं और उसके अन्य भाई तथा बहनें है जो अपने पिता की देखभाल कर सकते हैं। इस पर पीठ ने इस महीने की शुरुआत में दिए आदेश में कहा कि माता-पिता की देखभाल करना एक बात है और किसी अभिभावक को किडनी दान देना अलग बात है, जिसके लिए सभी बच्चे खासतौर से शादीशुदा बच्चे, जिनके खुद के पति/पत्नी तथा बच्चे हैं, शायद राजी न हो।
उसने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता अपने पिता को अपनी किडनी दान करना चाहता है तो उसे जरूरत पड़ने पर आवश्यक जांच के लिए अस्पताल ले जाया जा सकता है।
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