ई श्रीधरन (E Sreedharan) का जिक्र आते है दिल्ली मेट्रो की तस्वीर दिमाग में कौंध जाती है क्योंकि दिल्ली की लाइफलाइन बन चुकी मेट्रो परियोजना को कुशलता के साथ क्रियान्वित करने में श्रीधरन का नाम सबसे प्रमुखता से आता है, वे 1995 से 2012 तक दिल्ली मेट्रो के निदेशक रहे उन्हें भारत के 'मेट्रो मैन' (Metro Man) के रूप में भी जाना जाता है भारत सरकार ने उन्हें 2001 में पद्म श्री तथा 2008 में पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया, 89 साल के ई श्रीधरन ने चुनाव से पहले बीजेपी ज्वाइन की थी और वो केरल की पलक्कड़ सीट (Kerala) से चुनाव भी लड़े हालांकि इस पिच पर वो सफल नहीं रहे लेकिन फिर भी बीजेपी में अब उन्हें कहीं अच्छी जगह समायोजित करने की बात चल रही है।
बीजेपी को उम्मीद थी कि श्रीधरन के आने से राज्य में पार्टी को अलग पहचान मिलेगी लेकिन वो गृह नगर केरल के पलक्कड़ से कांग्रेस प्रत्याशी के हाथों चुनाव हार गए, वहीं श्रीधरन की छवि एक बेदाग नौकरशाह की रही है। 12 जून 1932 को केरल में जन्मे ई श्रीधरन भारत के एक प्रख्यात सिविल इंजीनियर हैं।
बताते हैं कि अपने प्रचार के दौरान ई श्रीधरन ने मतदाताओं से वादा किया था कि वह क्षेत्र के सभी परिवारों को बिजली कनेक्शन सुनिश्चित करेंगे। अब श्रीधरन ने मई 2021 में इन परिवारों के बकाया भुगतान के खिलाफ सहायक अभियंता के नाम करीब 81 हजार रुपये का चेक दिया। कुछ दिन पहले नगर पालिका के वार्ड 3 में कुछ अनुसूचित जाति परिवारों ने शिकायत की थी, कि उनके इलाके में बिजली की आपूर्ति नहीं हो रही है। इसके बाद अब उनके इस प्रयास से 11 अनुसूचित जाति परिवारों को भी अब नए बिजली कनेक्शन दिए जाएंगे।
उनके असाधारण काम से प्रभावित होकर 2013 में उन्हें जापान का राष्ट्रीय सम्मान-ऑर्डर ऑफ द राइजिंग सन-गोल्ड एंड सिल्वर स्टार मिला वहीं 2001 में पद्म श्री तो 2008 में पद्म विभूषण और 2008 में डॉ.वाई.नायदुम्मा मेमोरियल अवार्ड से उन्हें नवाजा गया। फ्रांस सरकार भी ई श्रीधरन को साल 2005 में अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित कर चुकी है इसके अलावा अमेरिका की विश्व प्रसिद्ध पत्रिका टाइम मैग्जीन ने श्रीधरन को एशिया हीरो के टाइटल से नवाजा था।
केरल विधानसभा चुनाव से पहले मेट्रो मैन श्रीधरन ने कहा था कि इस उम्र में भी उनके पास केरल के विकास के लिए काम करने के लिए पर्याप्त ऊर्जा है। उन्होंने कहा था कि मैंने देश के लिए कई प्रोजेक्ट्स पर काम किया है। इस उम्र में भी मेरे पास काम करने के लिए पर्याप्त ऊर्जा है और मैं इसे केरल के विकास के लिए इस्तेमाल करना चाहता हूं।'
ई श्रीधरन ने बहुत कम समय के भीतर दिल्ली मेट्रो के निर्माण का कार्य किसी सपने की तरह बेहद कुशलता और श्रेष्ठता के साथ पूरा कर दिखाया है। देश के अन्य कई शहरों में भी मेट्रो सेवा शुरू करने की तैयारी है, जिसमें श्रीधरन की मेधा, योजना और कार्यप्रणाली ही मुख्य निर्धारक कारक होंगे। केरलवासी श्रीधरन की कार्यशैली की सबसे बड़ी खासियत है एक निश्चित योजना के तहत निर्धारित समय सीमा के भीतर काम को पूरा कर दिखाना।समय के बिलकुल पाबंद श्रीधरन की इसी कार्यशैली ने भारत में सार्वजनिक परिवहन को चेहरा ही बदल दिया।
बताते हैं कि 1963 में रामेश्वरम और तमिलनाडु को आपस में जोड़ने वाला पम्बन पुल टूट गया था। रेलवे ने उसके पुननिर्माण के लिए छह महीन का लक्ष्य तय किया, लेकिन उस क्षेत्र के इंजार्च ने यह अवधि तीन महीने कर दी और जिम्मेदारी श्रीधरन को सौंपी गई। श्रीधरन ने मात्र 45 दिनों के भीतर काम करके दिखा दिया। भारत की पहली सर्वाधिक आधुनिक रेलवे सेवा कोंकण रेलवे के पीछे ईश्रीधरन का प्रखर मस्तिष्क, योजना और कार्यप्रणाली रही है। भारत की पहली मेट्रो सेवा कोलकाता मेट्रो की योजना भी उन्हीं की देन है।
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