India China talks : क्या 8वें दौर की बातचीत में बनेगी बात, अपने रुख पर कायम हैं भारत-चीन 

पूर्वी लद्दाख में गतिरोध वाले क्षेत्रों पर अपने रुख पर अड़े होने के बावजूद दोनों देशों ने बातचीत बंद नहीं किया है। भारत और चीन ने कूटनीतिक एवं राजनयिक स्तर पर बातचीत जारी रखने का फैसला किया है।

Eighth round of military-diplomatic talks between India and China this week
क्या 8वें दौर की बातचीत में बनेगी बात, अपने रुख पर कायम है भारत-चीन। -फाइल फोटो  |  तस्वीर साभार: PTI
मुख्य बातें
  • सीमा विवाद सुलझाने के लिए भारत और चीन के बीच सात दौर की वार्ता हो चुकी है
  • सेना को पीछे हटाने के मसले पर दोनों देश अपने-अपने रुख पर कायम हैं
  • गलवान घाटी की हिंसा के बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते काफी तल्ख हो गए हैं

नई दिल्ली : लद्दाख एवं वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव एवं विवाद कम करने के लिए गलवान घाटी की हिंसा के बाद भारत और चीन के बीच सात बार सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता हो चुकी है लेकिन इन बातचीत का असर जमीनी हालात पर नहीं हुआ है। दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच इस आने वाले दिनों में आठवें दौर की वार्ता प्रस्तावित है। अब तक की बातचीत से जाहिर है कि दोनों देश अपने-अपने रुख पर अड़े हैं। तनाव वाले क्षेत्रों से पहले अपने सैनिकों की वापसी कौन करेगा, इस पर सहमति नहीं बन पा रही है। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि सामान्य भारत-चीन संबंधों के लिए एलएसी पर शांति की बहाली पहली शर्त है। 

खास बात यह है कि पूर्वी लद्दाख में गतिरोध वाले क्षेत्रों पर अपने रुख पर अड़े होने के बावजूद दोनों देशों ने बातचीत बंद नहीं किया है। भारत और चीन ने कूटनीतिक एवं राजनयिक स्तर पर बातचीत जारी रखने का फैसला किया है। इस बातचीत का ही असर है कि 29-30 अगस्त की झड़पों के बाद सीमा पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच नए सिरे से टकराव नहीं हुआ है। पूर्वी लद्दाख के कई अग्रिम मोर्चों पर दोनों देशों की आमने-सामने हैं और यहां थोड़ी की आक्रामकता बड़े संघर्ष को जन्म दे सकती है।

सैन्य कमांडर स्तर की बातचीत के क्रम में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने तनाव कम करने के लिए गतिरोध वाली जगहों से पहले ऑर्मर्ड एवं ऑर्टिलरी यूनिट को हटाने का प्रस्ताव दिया था लेकिन भारतीय सेना ने साफ शब्दों में कह दिया कि ऑर्मर्ड यूनिट पीछे नहीं जा सकती क्योंकि दुर्गम इलाकों देखते हुए इसका फायदा दुश्मन उठा सकता है। चीन की कोशिश पैंगोंग त्सो झील के दोनों छोरों उत्तरी एवं दक्षिण क्षेत्र की ऊंचाइयों पर भारतीय सेना मौजूद है। ये चोटियां सामरिक रूप से काफी अहम है। चीन की कोशिश यहां से भारतीय सेना को हटाने की है। भारत इस बात को समझता है कि यदि एक बार वह यहां से पीछे हटा तो खाली छोड़ी गई जगहों पर पीएलए के सैनिक आ जाएंगे।  

 

गत 29 और 30 अगस्त की रात पीएलए के सैनिकों ने भारतीय सैनिकों को डराने-धमकाने की कोशिश की थी। इसके बाद भारतीय सैनिकों ने पैंगोंग झील के दक्षिणी तट के आसपास स्थित मुखपारी, रेजांग ला और मगर पहाड़ी इलाकों में नियंत्रण हासिल कर लिया। गत 21 सितंबर को छठे दौर की सैन्य वार्ता के बाद, दोनों पक्षों ने कई फैसलों की घोषणा की थी, जिसमें अग्रिम क्षेत्रों में और अधिक सैनिकों को नहीं भेजने, एकतरफा रूप से जमीन पर स्थिति को बदलने से बचने और ऐसी कोई भी कार्रवाई करने से बचना शामिल था जिससे मामला और जटिल हो जाए।

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