नई दिल्ली: राज्यसभा की 57 सीटों के लिए चुनाव की तारीख का एलान कर दिया गया है। इसके लिए 15 राज्यों की 57 राज्यसभा सीटों पर 10 जून को चुनाव कराए जाएंगे।जिन सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, उनमें केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, कांग्रेस नेता अंबिका सोनी, जयराम रमेश और कपिल सिब्बल और बहुजन समाज पार्टी के सतीश चंद्र मिश्र प्रमुख हैं।
कांग्रेस के लिहाज से राज्यसभा का आगामी चुनाव काफी महत्वपूर्ण है। 2016 तक उच्चसदन में कांग्रेस के 56 सांसद हुआ करते थे, जो आज घट कर महज 34 रह गए हैं। लेकिन आज भी ऊपरी सदन में कांग्रेस सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है। वर्तमान में जिन 57 सीटों के लिए चुनाव और 2 सीटों के लिए उपचुनाव हो रहा है उसमे एनडीए के पास 31 सीटें है जबकि कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए के पास बची हुई 28 सीटें है।
इस बार के चुनाव में हाल ही में विधानसभा चुनाव के नतीजे देखते हुए एनडीए को 7–9 सीटों का नुकसान हो सकता हैं। वही यूपीए को इस बार 13 सीटें मिल सकती है। यानी यूपीए को 2–4 सीटों का फायदा हो सकता है। इस बार कांग्रेस को 8, डीएमके को 3 और शिवसेना और एनसीपी को एक एक सीट मिल सकती है।
कांग्रेस के लिहाज से देखा जाए तो पार्टी को राजस्थान और छत्तीसगढ़ से दो, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, हरियाणा और तमिलनाडु से एक एक सीट मिलने की उम्मीद है। तमिलनाडु की एक सीट कांग्रेस को डीएमके के समर्थन से मिलने की उम्मीद है। कांग्रेस के इन 9 सीटों के लिए पार्टी के कई कद्दावर नेता लाइन में है। जिसमे कई नए तो कई पुराने चेहरे हैं। सूत्रों की माने तो कांग्रेस के ये बड़े चेहरे राज्यसभा की 9 सीटों के लिए प्रयासरत हैं–
लेकिन हाल ही में हुए चिंतन शिविर में युवाओं को संगठन में तरजीह देने की बात कही गई है। लेकिन क्या इसका असर राज्यसभा के टिकट वितरण में भी होगा कहना मुश्किल है। सूत्रों के मुताबिक गुलाम नवी आजाद और राजीव शुक्ला को राजस्थान से मौका मिल सकता है। इसी तरह से आनद शर्मा या सैलजा में से किसी एक को हरियाणा से टिकट दिया जा सकता है। मुकुल वासनिक को महाराष्ट्र से और रणदीप सुरजेवाला को छत्तीसगढ़ से राज्यसभा में भेजने की संभावना है। इसी तरह पार्टी के थिंक टैंक माने जाने वाले जयराम रमेश को दक्षिण भारत के किसी राज्य से राज्यसभा का टिकट मिल सकता है।
लगातार राज्यों का विधानसभा चुनाव हार रही कांग्रेस के लिए ऊपरी सदन में संतुलन बनाना चुनौती बनता जा रहा है। पार्टी के कई बड़े नेता रिटायर हो चुके है। उच्च सदन में अनुभवी नेताओं का भेजना भी जरूरी है। इसके साथ ही G 23 के नेताओं को भी राज्यसभा में मौका देकर पार्टी नेतृत्व सकारात्मक संदेश देना चाहती है। फिलहाल राज्यसभा की टिकट चाहने वालों की फेरहिस्त बहुत लंबी है और सीटें कम। इसलिए कांग्रेस नेतृत्व की कोशिश यही रहेगी की एक तरफा फैसला लेने की बजाय वो संतुलन कायम करे।
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