गाजियाबाद: रेलवे के नोटिस से मचा हड़कंप, सैकड़ों आशियानों पर चल सकता है बुलडोजर

देश
प्रेरित कुमार
Updated Apr 13, 2022 | 17:56 IST

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में सैकड़ों आशियानों पर बुलडोजर का खतरा मंडरा रहा हैं। घरों को खाली करने के लिए रेलवे का नोटिस जारी हो गया है। नोटिस से इलाके में हड़कंप मचा हुआ है।

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दिल्ली मेरठ रेलवे लाइन  

दिल्ली मेरठ रेलवे लाइन जहां पर कभी ट्रेनों का परिचालन होता था आज उस रेलवे ट्रैक पर सड़क बन चुकी हैं और आसपास हजारों लोगों का ऊंचा और महंगा आशियाना। लेकिन 70 साल के बाद रेलवे नींद से जागी है। रेलवे ने यहां रह रहे लोगों को नोटिस जारी कर घर खाली करने का आदेश दिया है। रेलवे के इस नोटिस के बाद इलाके में हड़कंप मचा है। इलाके के लोगों का कहना है कि उनकी कई पीढ़ियां यहां पर दशकों से रह रही हैं। यहां पर बकायदा हाउस टैक्स, बिजली बिल, समेत तमाम निगम के टैक्स भर रहे हैं। कई लोगों के पास मकान की रजिस्ट्री तक है। इसके बावजूद भी उन्हें अपना घर खाली करना पड़ेगा। 

अगर वो अपना घर खाली नहीं करते हैं तो उनके जमे जमाए आशियाने पर रेलवे का बुलडोजर चल सकता है। रेलवे ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है। रेलवे के कर्मचारी सड़कों पर अपनी जमीन को मापने में लगे हैं। जिस जगह पर मौजूदा वक्त में सड़क है वहां रेलवे कर्मचारी खुदाई कर ट्रैक के अवशेषों को ढूंढ रहे हैं। जिनके घरों पर नोटिस चिपका दिया गया है उन आशियानों में रहने वाले लोग हताश और परेशान हो चुके हैं। इसके लिए तमाम सरकारी दफ्तरों में अपनी गुहार लेकर भटक रहे हैं ताकि उनसे उनके पुरखों की विरासत छीनी न जा सके। 

हालांकि इस जमीन पर किसी दौर में दनदनाती हुई ट्रेन गुजरती थी। लेकिन रेलवे ने इस पर अपना परिचालन कुछ समय के लिए बंद कर दिया और शंटिंग लाइन में तब्दील कर दिया। तब्दील होते ही धीरे-धीरे यहा पर लोगों ने अवैध तरीके से कब्जा करना शुरू कर दिया और देखते ही देखते यह पूरा रेलवे ट्रैक एक कॉलोनी में तब्दील हो गया। उसके बाद एक विकसित कॉलोनी जो तमाम संसाधन होने चाहिए वो सब यहां व्यवस्थित हो गई। कॉलोनी में साफ सुथरी सड़क से लेकर, सीवर लाइन और बिजली तक की व्यवस्था कर दी गई। लेकिन कुछ भू माफियाओं ने रेलवे की जमीन को अवैध तरीके से खरीद फरोख्त तक कर दी। यही वजह है कि यहां रहने वाले कई लोगों के पास उनके मकानों के रजिस्ट्री कागजात हैं। 

इसलिए लोगों का आरोप है कि रेलवे इतने सालों से कहां था। रेलवे ने पहले ही क्यों नहीं रोका। अब जब लगभग 70 सालों से हम लोग यहां बस चुके हैं तो फिर रेलवे हमें नोटिस पकड़ा रहा है। हम किसी भी कीमत पर यहां से नहीं जाएंगे। अगर हमें यहां से जाने के लिए मजबूर किया जाएगा तो हम खुदकुशी कर लेंगे। 

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हालांकि इस मामले में रेलवे के तमाम बड़े अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। कैमरे पर कुछ भी बात करने से साफ मना कर दिया। लेकिन ऑफ कैमरा उनका कहना है कि यह जमीन रेलवे की है और अवैध अतिक्रमण कर निर्माण किया गया है। हम इन्हें खाली करने के लिए नोटिस दे चुके हैं।

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