Water Day : जल संकट से घिरा जीवन, नहाने और फ्लश चलाने में बर्बाद कर देते हैं हम इतना पानी  

Water Crisis in India : सरकारें और संयुक्त राष्ट्र स्वच्छ जल का संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करते आए हैं। जल के प्राकृतिक स्रोतों एवं संसाधनों के संरक्षण और उन्हें बढ़ाने के लिए कई परियोजनाएं चलाई जा रही हैं

Every Indian Wastes Up To 45 Litres Of Water Per Day
Water Day : जल संकट से घिरा जीवन।  |  तस्वीर साभार: PTI
मुख्य बातें
  • पानी की उपयोगिता समझाने के लिए संयुक्त राष्ट्र 22 मार्च को मनाता है विश्व जल दिवस
  • पृथ्वी के 71 प्रतिशत हिस्से पर जल है लेकिन दुनिया भर में पेयजल की कमी बनी हुई है
  • भारत में जल का उचित प्रबंधन न होने से भारी मात्रा में व्यर्थ हो जाता है बारिश का पानी

नई दिल्ली : मंगल ग्रह पर वैज्ञानिक पहले जल की संभावना की खोज कर रहे हैं। जाहिर है कि जल (Water) के बिना जीवन एवं मानव सभ्यता की कल्पना नहीं कही जा सकती। पृथ्वी के 71 प्रतिशत हिस्से पर जल है फिर भी दुनिया में पीने लायक एवं स्वच्छ जल की कमी है। दुनिया के कई देश ऐसे हैं जहां पानी की भयंकर किल्लत (Water Crisis) है। कई रिपोर्टों में कहा गया है कि आने वाले समय में पानी के लिए विश्व युद्ध तक हो सकता है। यह बात जीवन में जल की महत्ता को दर्शाती है। जीवन में स्वच्छ जल की अहमियत कितनी है इसे बताने के लिए संयुक्त राष्ट्र हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस (World Water Day) मनाता है। यह 28वां विश्व जल दिवस है। इसकी शुरुआत साल 1992 में रियो डि जेनेरियो में आयोजित पर्यावरण एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन से हुई।   

  1. सरकारें और संयुक्त राष्ट्र स्वच्छ जल का संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करते आए हैं। जल के प्राकृतिक स्रोतों एवं संसाधनों के संरक्षण और उन्हें बढ़ाने के लिए कई परियोजनाएं चलाई जा रही हैं। नदियों को जोड़ा गया है और नए कुएं, तालाब बनाए गए हैं। बारिश के पानी को सहेजने के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल करते हुए जल संरक्षण केंद्र बने हैं। बावजूद इसके भारत सहित दुनिया भर में पानी की बर्बादी देखने को मिलती है। 
  2. भारत में दुनिया की 17 प्रतिशत आबादी रहती है और दुनिया भर में पीने लायक जितना पानी है उसका केवल 4 प्रतिशत जल ही हमारे पास है। राष्ट्रीय आयोगी की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में पेयजल की कमी इसकी कम उपलब्धता के कारण नहीं बल्कि इसकी बर्बादी और खराब प्रबंधन के चलते हैं। 
  3. भारत में मानसून के महीनों में भारी बारिश होती है लेकिन इस पानी का 36 प्रतिशत हिस्सा ही उपयोग हो पाता है। संग्रहण का प्रबंधन न होने से शेष पानी बर्बाद हो जाता है। पानी के संग्रहण के उपाय न होने से बारिश का 65 फीसदी पानी नदियों से होते हुए समुद्र में मिल जाता है। 
  4. किसानी में जल का उपयोग बड़ी मात्रा में होता है लेकिन इसके लिए किसान स्वच्छ जल का इस्तेमाल करते पाए जाते हैं, उन तक सिंचाई योग्य जल की पहुंच नहीं होती। 
  5. स्वच्छ जल का 70 प्रतिशत हिस्सा हमारे पास ग्राउंड वाटर के रूप में उपलब्ध है जबकि सतह पर पाए जाने वाला जल प्रदूषित है। थर्मल और न्यूक्लिय संयंत्रों में बिजली के उत्पादन के लिए भारी मात्रा में स्वच्छ जल की खपत होती है लेकिन ये संयंत्र उपयोग किए जाने वाले साफ पानी का आंकड़ा नहीं बताते। 
  6. आपको जानकर हैरानी होगी कोलकाता को जितना पानी मिलता है उसका आधा वह बर्बाद कर देता है। इसके बाद बेंगलुरु का स्थान है। वह अपने हिस्से का 49 प्रतिशत पानी व्यर्थ करता है। 
  7. रिपोर्टों के मुताबिक हम अपना 27 प्रतिशत पानी का इस्तेमाल रोजाना नहाने एवं शौचालय में करते हैं। जबकि टॉयलेट का फ्लश चलाने में औसतन छह गैलन पानी बर्बाद होता है। 
  8. 24 घंटे में एक व्यक्ति औसतन 45 लीटर पानी का उपयोग करता है। वहीं देश की करीब 16 करोड़ आबादी के पास स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं है। जबकि प्रदूषित पानी पीने से करीब 21 प्रतिशत लोग बीमार होते हैं।    

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