Rajya Sabha Election2022 Candidates list: 15 राज्यों की 57 राज्यसभा सीटों (Rajya Sabha Seats) पर 10 जून को होने वाले चुनाव के लिए राजनीतिक दलों ने अपने पत्ते खोलने शुरू कर दिए हैं। और उम्मीदवारों के ऐलान से यह भी साफ होता जा रहा है कि किस नेता को धैर्य रखने , तो किन नेताओं को वफादारी का ईनाम मिला है। कांग्रेस, जद (यू) द्वारा इस लिस्ट से यह भी साफ हुआ कि कौन से नेताओं को बगावती तेवर रखने का नुकसान हुआ है। वहीं कुछ नेता ऐसे भी है कि जो टिकट नहीं पाने का दर्द ट्विटर पर निकाल रहे हैं। राजनीतिक दलों द्वारा जारी लिस्ट में सबसे पहले बात भाजपा की करते हैं..
डॉ राधा मोहन दास अग्रवाल को मिला सब्र का ईनाम
भाजपा द्वारा जारी किए गए उम्मीदवारों की लिस्ट में डॉ राधा मोहन दास अग्रवाल का नाम सबसे चौंकाने वाला है। राधा मोहन दास अग्रवाल गोरखपुर सदर से चार बार विधायक रह चुके हैं। और इस बार गोरखपुर सदर सीट से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद चुनाव लड़ने डॉ राधा मोहन दास अग्रवाल की उम्मीदवारी का दावा खत्म हो गया था। लेकिन जिस तरह अखिलेश यादव ने चुनाव के समय डॉ राधा मोहन दास को बगावत के लिए उकसाया था। उसके बावजूद डॉ अग्रवाल ने सब्र दिखाया। उसका अब भारतीय जनता पार्टी ने डॉ राधा मोहन दास अग्रवाल को ईनाम दे दिया है। और वह पार्टी के राज्य सभा उम्मीदवार बन गए हैं।
गुलाम नबी आाजाद और आनंद शर्मा का पत्ता कटा
अभी तक कांग्रेस को जिस लिस्ट आई है। उसमें उम्मीदवारों के नाम से साफ है कि कांग्रेस ने गांधी परिवार से बगवाती तेवर रखने वाले प्रमुख चेहरों की अनदेखी कर दी है। इस लिस्ट में सबसे प्रमुख नाम राज्य सभा में विपक्ष के नेता रह चुके गुलाम नबी आजाद और पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा का है। ये दोनों नेता कपिल सिब्बल के साथ G-23 नेताओं के समूह में शामिल थे। पार्टी ने उन्हें चिंतन शिविर के बाद कुछ समितियों में तो जगह दी है। लेकिन राज्य सभा के लिए नजरअंदाज कर दिया है। वहीं पूर्व वित्त मंत्री पी.चिदंबरम, जयराम रमेश, रणदीप सुरजेवाला, अजय माकन, राजीव शुक्ला, रंजीत रंजन को मुश्किल वक्त में गांधी परिवार के साथ खड़े रहने का ईनाम मिला है।
नगमा और पवन खेड़ा ने सार्वजनिक की निराशा
वहीं कांग्रेस पार्टी से राज्य सभा का टिकट नहीं मिलने पर अभिनेत्री नगमा ने ट्विटर पर अपनी निराशा व्यक्त की है। उन्होंने लिखा है कि सोनिय गांधी ने मुझे 2004 में व्यक्तिगत रूप से राज्य सभा टिकट देने का वादा किया था। लेकिन 18 साल बाद भी वह वादा पूरा नहीं हो सका। जबकि कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता ने निराशा भरे लहजे में केवल इतना लिखा है कि लगता है कि तपस्या में कोई कमी रह गई है। हालांकि उन्होंने अपनी ट्वीट में राज्य सभा का उल्लेख नहीं किया है।
आरसीपी सिंह और नीतीश की दूरी खुल कर सामने
नीतीश कुमार के साथ दो दशक से भी ज्यादा करीबी रिश्ता रखने वाले केंद्रीय इस्पात मंत्री आरसीपी सिंह को इस बार जनता दल (यू) ने राज्य सभा का टिकट नहीं दिया है। बताया जा रहा है कि भाजपा से आरसीपी सिंह की नजदीकी ने नीतीश कुमार से दूरिया बढ़ा दी हैं। लेकिन इस फैसले के बाद आरसीपी सिंह के केंद्रीय मंत्रिमंडल में भविष्य को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। क्योंकि आरसीपी सिंह जद (यू) कोटे से मंत्री हैं, अब जब जद (यू) ने उन्हें राज्य सभा नहीं भेजने का फैसला किया है तो वह सांसद कैसे बने रहेंगे, यही सबसे बड़ा सवाल है। ऐसे में उनकी मंत्री की कुर्सी भी खतरे में हैं। देखना होगा कि राजनीति किस ओर करवट बदलती है।
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