What Is Tour of Duty: भारतीय सेना के तीनों अंगों में अब भर्ती की नई प्रक्रिया लाने की तैयारी है। इसके तहत केवल 4 साल के लिए भर्तियां की जाएंगी। जिसमें अफसर से लेकर जवान भी शामिल हो सकते हैं। यानी सेना में नौकरी के लिए युवाओं को एकदम नए तरीके से मौका मिलेगा। और इस प्रक्रिया को टूर ऑफ ड्यूटी (Tour of Duty) कहा जाएगा । सरकार की कोशिश है कि इसके जरिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को सेना में भर्ती के लिए प्रेरित किया जाय। ऐसी संभावना है कि जल्द ही टूर ऑफ ड्यूटी का ऐलान कर दिया जाएगा। अगर ऐसा होता है तो सेना में खाली पड़े पदों को भरना आसान हो सकता है। दिसंबर 2021 तक के आंकड़ों के अनुसार करीब 1.20 लाख पद खाली पड़े हैं।
क्या है Tour of Duty
असल में सेना में अल्पकालिक भर्ती का मॉडल लागू करने की तैयारी है। जो कि मौजूदा शॉर्ट सर्विस कमीशन (Short Service Commission) से अलग होगा। शॉर्ट सर्विस कमीशन में अफसरों की भर्ती 10 साल के लिए की जाती है। और 10 साल बाद सर्विस को 4 साल के लिए बढ़ाने का मौका मिलता है। इस बीच कभी भी अधिकारी अपने सेवाओं से अलग हो सकता है। इसके अलावा अधिकारी को परमानेंट सर्विस का भी विकल्प मिलता है।
लेकिन टूर ऑफ ड्यूटी में सेवाओं को 4 साल तक करने की तैयारी है। और इस बार केवल अधिकारी नहीं बल्कि सैनिकों की भी नियुक्ति की जा सकेगी। इस सेवा में भर्ती होने वाले अधिकारी और सैनिक को अग्निपथ का नाम दिया जा सकता है। 4 साल की नौकरी करने के बाद अधिकारी और सैनिक को यह मिल सकता है कि वह अपनी सेवा को बढ़ाना चाहता है या नहीं। इसके अलावा टूर ऑफ ड्यूटी के तहत भर्ती होने वाले अधिकारी और सैनिक को वेतन और लाभ लगभग नियमित कर्मियों के समान ही मिलेंगे। इसके अलावा सेवा से मुक्त होने वालों को डिग्री या प्रमाण भी दिया जाएगा।
खाली पड़े पदों को भरना होगा आसान
टूर ऑफ ड्यूटी को लाने का एक और मकसद यह भी है कि इसके जरिए सेना में भर्ती में तेजी लाई जा सके। दिसंबर 2021 में रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने राज्य सभा में बताया था कि भारतीय सेना में करीब 1.20 लाख पद खाली हैं। इसमें सबसे ज्यादा थल सेना में 1.04 लाख के करीब पद खाली है। ऐसे में टूर ऑफ ड्यूटी भर्ती प्रक्रिया में तेजी ला सकता है।
पेंशन का बोझ होगा कम
औसतन हर साल करीब 60 हजार सेना के कर्मी रिटायर होते हैं। और उनके रिटायरमेंट के बाद पेंशन बड़ी देनदारी बनती है। ऐसे में टूर ऑफ ड्यूटी सेवा से पेंशन का बोझ भी कम होगा। सेना में बड़ी संख्या में कर्मी 35-37 वर्ष की आयु में रिटायर हो जाते हैं और पेंशन लंबे समय तक जारी रहती है। इसमें ओआर और जेसीओ का पेंशन बोझ कहीं ज्यादा होता नई व्यवस्था से इसे कम करने में मदद मिलेगी।
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