नई दिल्ली। शुक्रवार को पांच बजकर पांच मिनट पर इजरायली दूतावास से महज 150 मीटर दूर जिंदल हाउस के करीब कम तीव्रता वाला आाईईडी धमाका हुआ। यह बात सच है कि उस धमाके में तीन से चार कारों के शीशे टूटे। लेकिन जिस तरह से बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी से महज 2 किमी दूर जिस तरह से इस धमाके को अंजाम दिया गया वो महत्वपूर्ण है। रायटर्स के मुताबिक इजरायल इसे आतंकी वारदात माना है तो विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि जांच की जा रही है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
पहला तर्क
अब सवाल यह है कि इस धमाके के पीछे का मकसद क्या हो सकता है। इसके बारे में जानकारों की राय अलग अलग है। कुछ लोगों को मानना है कि इस समय भारत और इजरायल अपनी दोस्ती की 29वीं सालगिरह मना रहा है तो ऐसा हो सकता है कि इरानी खुफिया एजेंसी की कार्रवाई हो सकती है क्योंकि इजरायल और ईरान के बीत तनातनी किसी से छिपी नहीं है। इसके साथ ही भारत को घटना स्थल चुनने के पीछे एक मकसद यह भी हो सकता है कि भारत बीटिंग रिट्रीट मना रहा था तो और कोई छोटी सी घटना भी बड़ी खबर बन सकती है।
दूसरा तर्क
दूसरा तर्क यह है कि जब तक फोरेंसिंक रिपोर्ट ना आ जाए तो कुछ पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता है, ऐसा हो सकता है कि यह सिर्फ सनसनी के लिए वारदात को अंजाम दिया गया हो। इस तरह की घटना से सुरक्षा एजेंसियों पर दबाव बनता है और असामाजिक तत्व इसका फायदा उठा कर कहीं और किसी आपराधिक वारदात को अंजाम दे सकते हैं।
तीसरा तर्क
तीसरा तर्क यह भी है कि जिस तरह से 26 जनवरी को दिल्ली के लालकिले और आईटीओ को निशाना बनाया गया तो ऐसा हो सकता है कि उससे जुड़ा कोई समूह हो। अगर आप देखें तो ट्रैक्टर परेड को अनुमति दिए जाने से पहले दिल्ली पुलिस ने बताया था कि किस तरह से पाकिस्तान से 308 ट्विटर हैंडल के साथ साथ खालिस्तानी संगठन भी ऐक्टिव हैं।
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