कॉलरवाली नाम से फेमस बाघिन की मौत, सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार, जानिए इसे क्यों कहा जाता था 'सुपरमॉम' 

Collarwali tigress Death : मध्य प्रदेश के सिवनी स्थित पेंच बाघ अभयारण्य में 29 शावकों को जन्म दे चुकी बाघिन की मौत हो गई। कॉलरवाली के नाम से मशहूर इस बाघिन का अंतिम संस्कार पूरे सम्मान के साथ किया गया।

Famous tigress named Collarwali died, cremated with respect, Know why it was called Supermom
कॉलरवाली के नाम से मशहूर बाघिन की मौत 
मुख्य बातें
  • इस बाघिन ने अपने जीवन काल में 29 शावकों को जन्म दिया।
  • यह एक विश्व रिकॉर्ड है।
  • इस बाघिन की मौत उसकी वृद्धावस्था के कारण हुई।

भोपाल: मध्य प्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व की फेमस बाघिन कॉलरवाली (Collarwali) की शनिवार शाम वृद्धावस्था के कारण मौत हो गई। 17 साल की इस बाघिन ने अपने जीवनकाल में 29 शावकों को जन्म दी। जिसकी वजह से उसे "सुपरमॉम" का टैग दिया गया था। बाघिन, जो टी-15, पेंच की रानी के नाम से भी जानी जाती थी। उसने 2008 से 2018 के बीच 11 साल के दौरान 29 शावकों को जन्म दिया था।

पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, दृश्यों में कई स्थानीय लोग बाघिन के अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे, जिन्हें आखिरी बार 14 जनवरी को देखा गया था। कुछ लोगों ने उसे माला पहना कर आखिरी विदाई दी। ट्विटर पर लेते हुए, वन विभाग ने पेंच टाइगर रिजर्व में कॉलरवाली के अंतिम संस्कार की तस्वीरें साझा कीं। बाघिन के अंतिम संस्कार में शामिल होने वालों में जिला और वन अधिकारी भी शामिल थे।

पेंच बाघ अभयारण्य के क्षेत्र संचालक अशोक मिश्रा ने रविवार को बताया कि पेंच बाघ अभयारण्य, सिवनी के अंतर्गत परिक्षेत्र कर्माझिरी के बीट कुम्भादेव में विश्व प्रसिद्ध ‘कॉलरवाली’ बाघिन टी-15 ने शनिवार शाम 6.15 बजे अंतिम सांस ली। उन्होंने कहा कि करीब साढ़े 16 साल की आयु पूर्ण कर चुकी इस बाघिन की मृत्यु उसकी वृद्धावस्था के कारण हुई। मिश्रा ने बताया कि पार्क प्रबंधन के वन्यप्राणी चिकित्सक द्वारा विगत एक सप्ताह से इस पर लगातार निगरानी रखी जा रही थी। उन्होंने कहा कि इसकी मौत के बाद पार्क प्रबंधन के वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. अखिलेश मिश्रा एवं डॉ. अमोल रोकड़े, पशु चिकित्सक स्कूल आफ वाइल्ड लाइफ एंड फारेंसिक हेल्थ, जबलपुर ने रविवार को प्रातः राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकारण के मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार शव परीक्षण करके विसरा अंगों का प्रयोगशाला जांच हेतु संग्रहण किया है।

मिश्रा ने बताया कि पेंच बाघ अभयारण्य, सिवनी को सम्पूर्ण विश्व में पहचान देने वाली इस बाघिन टी-15 का जन्म वर्ष 2005 के सितंबर महीने में उस समय की विख्यात बाघिन 'बड़ी मादा' से हुआ था। आगे चलकर 'बड़ी मादा' की मृत्यु के पश्चात ‘कॉलरवाली’ ने अपनी मां की विरासत को गौरवपूर्ण तरीके से आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि ‘कॉलरवाली’ बाघिन ने मई 2008 से दिसम्बर 2018 के मध्य कुल 8 बार में 29 शावकों को जन्म दिया और पेंच में बाघों का कुनबा बढ़ाने में अपना अविस्मरणीय योगदान दिया।

मिश्रा ने दावा किया कि एक बाघिन का अपने जीवन काल में 29 शावकों को जन्म देना एक विश्व रिकॉर्ड है एवं 29 शावको में से 25 शावकों को जन्म पश्चात एक बाघिन द्वारा जीवित रख पाना भी अपने आप में अभूतपूर्व कीर्तिमान है। उन्होंने कहा कि ‘कॉलरवाली’ बाघिन ने मई 2008 में प्रथम बार में तीन शावकों को, अक्टूबर 2008 में 3 शावकों को, अक्टूबर 2010 में 5 शावकों को, मई 2012 में 3 शावकों को, अक्टूबर 2013 में 3 शावकों को अप्रैल 2015 में 4 शावकों को, 2017 में 3 शावकों को एवं दिसम्बर 2018 में 4 शावकों को जन्म दिया था।

मिश्रा ने बताया कि वर्तमान में पाटदेव बाघिन (टी4) जो कि अपने 5 शावकों के साथ पार्क की शोभा बढ़ा रही है, वह ‘कॉलरवाली’ बाघिन की ही संतान है। पार्क प्रबंधन को पूर्ण विश्वास है कि यह बाघिन शीघ्र ही अपनी मां का स्थान लेकर कॉलरवाली की विरासत को आगे बढ़ाएगी। उन्होंने कहा कि टी-15 कॉलरवाली बाघिन की मृत्यु की सूचना प्राप्त होने पर तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया गया। मिश्रा ने बताया कि इसकी मृत्यु पर पार्क प्रबंधन से लेकर विश्व के वन्यप्राणी प्रेमी दुखी हैं।

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