Farm Laws Repeal: वापस होंगे तीनों कृषि कानून, क्‍या आप जानते हैं क्‍या होती है कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया?

How a law is repealed in India: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विवादास्‍पद तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है, जिसका क‍िसानों ने स्‍वागत किया है। लेकिन क्‍या आप जानते हैं, कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया क्‍या होती है?

पीएम मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है
पीएम मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है  |  तस्वीर साभार: Twitter
मुख्य बातें
  • पीएम मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है
  • ये कानून सितंबर 2020 में लाए गए थे, जिसका व्‍यापक विरोध हुआ है
  • बीते करीब एक साल से किसान इसके खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं

नई दिल्‍ली : केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के करीब एक साल से चल रहे आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को इन कानूनों को वापस लेने की घोषणा की। उनके इस फैसले का किसानों के साथ-साथ राजनीतिक गलियारों में भी स्‍वागत किया गया तो इसे किसान आंदोलन के दबाव का नतीजा भी बताया जा रहा है। इन सबसे परे क्‍या आप जानते हैं कि क‍िसी भी कानून को वापस लेने की प्रक्रिया क्‍या होती है?

कृषि कानूनों के संदर्भ में ही देखें तो प्रधानमंत्री ने इसी महीने के आखिर में होने वाले संसद के शीत सत्र में इन्‍हें वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया पूरी करने की बात कही है। संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से शुरू होने जा रहा है, जो 23 दिसंबर तक चलेगा। ऐसे में सवाल है कि वे संवैधानिक प्रक्रियाएं क्‍या होंगी, जिसका जिक्र पीएम मोदी ने अपने संबोधन में किया है और जिसके तहत संसद से पारित इन तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाएगा।

संसद में लाया जाएगा प्रस्‍ताव

विशेषज्ञों के मुताबिक, कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया वही होती है, जो संसद में विधेयक लाने और फिर इसे पारित कराए जाने की होती है। कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए उसी तरह संसद में संशोधन विधेयक लाना होगा, जैसा कि इस संबंध में विधेयक पूर्व में लाया गया था और इन्‍हें संसद से पारित कर कानून की शक्‍ल दी गई थी। जैसा कि प्रधामनंत्री ने भी कहा, तीनों कानूनों को वापस लेने के लिए विधेयक संसद के आगामी शीत सत्र में लाया जा सकता है।

संसद में विधेयक पेश होते ही संवैधानिक प्रावधानों के तहत इस पर चर्चा कराई जाएगी और फिर इसे वापस लेने के लिए पारित किया जाएगा। हालांकि संसद में यह सबकुछ किस तरह से होगा, यह काफी कुछ सत्‍ता पक्ष व विपक्ष के रवैये पर भी निर्भर करता है। जिस तरह से विपक्ष इन कानूनों को लेकर सरकार के खिलाफ हमलावर रहा है, उसे देखते हुए इसकी उम्‍मीद कम ही की जा रही है कि इन्हें वापस लेने से संबंधित विधेयकों पर संसद में हंगामा नहीं होगा।

संसद को है ये अधिकार

संसद में लाने से पहले इन कानूनों में संशोधन से संबंधित एक प्रस्‍ताव विधि मंत्रालय को भेजा जाता है, जहां इससे संबंधित कानूनी पहलुओं का विश्‍लेषण किया जाता है। इसके बाद इसे संसद के पटल पर रखा जाता है। संबंधित मंत्रालय के मंत्री द्वारा इसे संसद में पेश किया जाता है। कानूनों को वापस लेने के संबंध में संसद को अधिकार संविधान के अनुच्‍छेद 245 के तहत दिए गए हैं। इसमें संसद को कानून लाने के साथ-साथ उसे वापस लेने के भी अधिकार दिए गए हैं।

यहां उल्‍लेखनीय है कि तीनों कृषि कानूनों को अभी लागू नहीं किया गया है। हालांकि संसद से पारित होने और राष्‍ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद ये कानून बन चुके हैं। ऐसे में इसे संसद के माध्‍यम से ही वापस लिया जा सकता है। कानूनों को वापस लेने के संबंध में लाया गया विधेयक भी पारित होने के बाद एक कानून होगा। जानकारों के मुताबिक, सरकार तीनों कानूनों को एक ही विधेयक के जरिये वापस ले सकती है और इसे वापस लेने के कारणों का उल्‍लेख कर सकती है।

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