और तेज हुई किसान आंदोलन की धार, भूख हड़ताल पर बैठेंगे किसान, केजरीवाल भी करेंगे उपवास

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Updated Dec 14, 2020 | 07:50 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Farmers agitation: नए कृषि कानूनों के खिलाफ बीते दो सप्ताह से अधिक समय से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे सभी किसान संघों के प्रमुख आज एक दिन की भूख हड़ताल करेंगे।

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किसानों का आंदोलन जारी  |  तस्वीर साभार: AP
मुख्य बातें
  • आज भूख हड़ताल करेंगे किसान नेता
  • आम आदमी पार्टी ने भी किया किसानों का समर्थन, नेता करेंगे सामूहिक उपवास
  • अरविंद केजरीवाल ने केंद्र से तीनों कानूनों को वापस लेने की अपील की

नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले कई दिनों से आंदोलन कर रहे किसान आज एक दिन की भूख हड़ताल करेंगे। किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने रविवार को सिंघू बॉर्डर पर कहा था कि सभी किसान यूनियनों के प्रमुख सोमवार को सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक भूख हड़ताल करेंगे। इसके अलावा सभी जिला मुख्यालयों में प्रदर्शन किया जाएगा। वहीं दिल्ली की ओर बढ़ रहा प्रदर्शनकारियों का विशाल समूह दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध कर रहा है, जिसे पुलिस ने हरियाणा-राजस्थान सीमा पर रोक लिया है।

सिंघू और टीकरी बॉर्डर पर पिछले 18 दिन से चल रहे प्रदर्शनों में पंजाब और अन्य राज्यों से और किसानों का आना जारी है। चढूनी ने कहा कि नेता अपने-अपने स्थानों पर सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक भूख हड़ताल करेंगे। देशभर के सभी जिला मुख्यालयों में धरने दिए जाएंगे। प्रदर्शन इसी प्रकार चलता रहेगा।

केजरीवाल भी करेंगे अनशन

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आंदोलनकारी किसानों की अपील के मुताबिक वह भी आज अनशन करेंगे। उन्होंने आम आदमी पार्टी (AAP) के कार्यकर्ताओं और देश के लोगों से इसमें शामिल होने की अपील की। इसके अलावा केजरीवाल ने कहा कि मेरी केंद्र सरकार से गुजारिश है की अहंकार छोड़िए। सरकारें जनता से बनती है, जनता सरकारों से नही बनती। अगर जनता इन तीनो बिलों के खिलाफ है तो इनको रद्द किया जाए और MSP के ऊपर किसानों की फसलें खरीद ने की गारंटी देने का बिल बनाया जाए। 

जल्द वार्ता करेगी सरकार

इस बीच केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी ने रविवार को कहा कि सरकार जल्द ही एक तारीख तय कर किसान संघ के नेताओं को अगले दौर की वार्ता के लिए बुलाएगी। केंद्र सरकार और 40 किसान संघों के प्रतिनिधियों के बीच पहले हुई पांच दौर की वार्ता बेनतीजा रही थीं। सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि वह किसी भी समय चर्चा के लिए तैयार है। किसान संघों ने हालांकि स्पष्ट रूप से कहा है कि वे बातचीत के लिये तभी आएंगे जब कानून निरस्त होंगे।

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