नए कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली में तकरीबन दो महीने से जारी किसान आंदोलन को 26 जनवरी की ट्रैक्टर रैली ने वो चोट पहुंचाई जिसके चलते काफी प्रभावी तरीके से चल रहे इस आंदोलन की सांसें उखड़ने लगी हैं। इस आंदोलन को बड़ा झटका उस वक्त लगा जब लंबे समय से चिल्ला बॉर्डर पर धरना दे रहे भारतीय किसान यूनियन (भानू) ने अपना धरना वापस ले लिया। दिल्ली में मंगलवार को ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसक घटना व राष्ट्र ध्वज के अपमान से आहत होकर भानू गुट ने अपना धरना वापस लिया है।
दिल्ली-नोएडा को जोड़ने वाले अहम मार्ग यानि चिल्ला बार्डर पर भारतीय किसान यूनियन (भानू) के अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह की घोषणा के बाद कुछ किसान आंदोलन स्थल से अपने टेंट शामियाने उतारते दिखे गौरतलब है कि ये संगठन किसानों के ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा के विरोध में प्रदर्शन को समाप्त कर रहा है।
इस धरने की वजह से नोएडा से दिल्ली जाने वाला रास्ता करीब 58 दिनों से बंद था। बॉर्डर का धरना खुलने से नोएडा और दिल्ली के लोगों को यातायात जाम से राहत मिलेगी।
अपनी प्राथमिकी में दिल्ली पुलिस ने किसानों की ट्रैक्टर परेड को लेकर जारी एनओसी के उल्लंघन के लिए किसान नेताओं दर्शन पाल, राजिंदर सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल, बूटा सिंह बुर्जगिल और जोगिंदर सिंह उग्रा के नामों का उल्लेख किया है। एफआईआर में बीकेयू के प्रवक्ता राकेश टिकैत के नाम का भी उल्लेख है।भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत के खिलाफ पूर्वी दिल्ली के एक पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज हुई है।
भानु प्रताप सिंह ने बताया कि कल ट्रैक्टर परेड के दौरान जिस तरह से दिल्ली में पुलिस के जवानों के ऊपर हिंसक हमला हुआ तथा कानून व्यवस्था की जमकर धज्जियां उड़ाई गई, इससे वे काफी आहत हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से लालकिले पर एक धर्म विशेष का झंडा फहराया गया, उससे भी वह दुखी हैं।
वहीं एक अहम किसान संगठन राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन ने खुद को आंदोलन से अलग कर लिया।राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के चीफ वीएम सिंह ने कहा कि दिल्ली में जो हंगामा और हिंसा हुई, उसकी जिम्मेदारी भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत को लेनी चाहिए।
भानु प्रताप ने कहा कि भारत का झंडा तिरंगा है तथा वह तिरंगे का सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि कल के घटनाक्रम से वह काफी आहत हैं। उन्होंने कहा कि 58 दिनों से जारी चिल्ला बॉर्डर का धरना वह खत्म कर रहे हैं।
प्रदर्शनकारी किसानों को शांत करने एवं स्थिति को काबू में करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े और कुछ जगहों पर लाठीचार्ज करना पड़ा। हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस ने अब तक 22 एफआईआर दर्ज किए हैं।
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