देश का अन्नदाता कहलाने वाला किसान जिसकी छवि आमतौर खेत में काम करते हुए ही उभरती है लेकिन इसके उलट राजधानी दिल्ली में 16 जनवरी को जब देश 72वां गणतंत्र दिवस मना रहा था उस वक्त दिल्ली में वो सब हुआ जिसकी उम्मीद भी किसी ने नहीं की होगी। किसानों ने दिल्ली में शांतिपूर्ण तरीके से ट्रैक्टर रैली निकालने की परमीशन मांगी थी वो उन्हें मिल भी गई। मंगलवार को ये सिलसिला सुबह से शुरू भी हो गया यहां तक तो सब ठीक था फिर दिल्ली के कई इलाकों से किसानों की हिंसा की खबरें सामने आने लगीं।
...कहीं पर नंगी तलवार लिए किसान आक्रमण करते नजर आए तो कहीं पर पुलिस वालों को लाठियों डंडों से बुरी तरह से पीटते दिखे...ऐसी तस्वीरें दिल्ली के कोने-कोने से सामने आने लगीं।
ये तस्वीरें और वीडियो देखकर एक बारगी तो विश्वास ही नहीं हुआ कि ये देश का किसान है जिसे हम अन्नदाता कहते हैं...उसके उलट ये तो ऐसा लग रहा था कि हिंसक लोगों का गैंग जमकर राजधानी में हिंसा और अराजकता फैलाने उतर आया है जिसे जरा सा भी कानून का डर नहीं है, उसके रास्ते में जो भी आएगा उसे उनका शिकार होना ही होगा चाहे वो कोई भी क्यों ना हो...
दिन की शुरुआत जश्न के माहौल से हुई जिसमें किसान 'रंग दे बसंती' और 'जय जवान जय किसान' के नारे लगाते हुए अपनी प्रस्तावित परेड के लिए अपने ट्रैक्टरों, मोटरसाइकिलों, घोड़ों और यहां तक की क्रेनों पर राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पार कर रहे थे।
विभिन्न स्थानों पर सड़कों के दोनों ओर खड़े स्थानीय लोग ढोल-नगाड़ों की थाप के बीच किसानों पर फूल बरसाते दिखे। झंडे लगे वाहनों के ऊपर खड़े प्रदर्शनकारी ‘‘ऐसा देश है मेरा’’ और ‘‘सारे जहां से अच्छा’’ जैसे देशभक्ति गीतों की धुन पर नाचते देखे गए। हालांकि इसके तुरंत बाद मूड बदल गया।
जब हिंसा भड़की तो दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे किसानों से अपील की कि वे कानून को अपने हाथ में न लें और शांति बनाए रखें।पुलिस ने किसानों को ट्रैक्टर परेड के लिए उनके पूर्व-निर्धारित मार्गों पर वापस जाने के लिए कहा।ट्रैक्टर परेड जिसका मकसद किसानों की मांगों को रेखांकित करना था, वह मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर अराजक हो गई।
बड़ी संख्या में उग्र प्रदर्शनकारी बैरियर तोड़ते हुए लालकिले पहुंच गए और उसकी प्रचीर पर एक धार्मिक झंडा लगा दिया जहां भारत का तिरंगा फहराया जाता है।
हजारों प्रदर्शनकारी कई स्थानों पर पुलिस से भिड़े जिससे दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में अराजकता की स्थिति उत्पन्न हुई। इस दौरान हिंसा हुई जबकि किसानों का दो महीने से जारी प्रदर्शन अब तक शांतिपूर्ण रहा था।
ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा में दिल्ली पुलिस के 109 जवान घायल हो गए, बताया जा रहा है कि कुछ पुलिसकर्मियों को सिविल लाइन अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती करवाया गया है वहीं कुछ पुलिसकर्मियों को लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में भर्ती किया गया है।
गणतंत्र दिवस के दिन राजपथ पर देश की सैन्य क्षमता का प्रदर्शन किया जाता है। हालांकि इस बार ट्रैक्टरों, मोटरसाइकिलों और कुछ घोड़ों पर सवार किसान उस समय से कम से कम दो घंटे पहले बेरिकेड तोड़ते हुए दिल्ली में प्रवेश कर गए जिसकी अनुमति प्राधिकारियों द्वारा दी गई थी। शहर में कई स्थानों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई जिस दौरान लोहे और कंक्रीट के बैरियर तोड़ दिये गए और ट्रेलर ट्रकों को पलट दिया गया।
इस दौरान सड़कों पर अभूतपूर्व दृश्य देखने को मिले। इनमें से सबसे अभूतपूर्व दृश्य लालकिले पर दिखा जहां प्रदर्शनकारी उस ध्वज-स्तंभ पर चढ़ गए और वहां सिख धर्म का झंडा ‘निशान साहिब’ फहरा दिया जहां पर भारत के स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान तिरंगा फहराया जाता है।
आईटीओ पर सैकड़ों किसान द्वारा पुलिसकर्मियों को लाठियां लेकर दौड़ाते और खड़ी बसों को अपने ट्रैक्टरों से टक्कर मारते दिखे। एक ट्रैक्टर के पलट जाने से एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई।आईटीओ एक संघर्षक्षेत्र की तरह दिख रहा था जहां गुस्साये प्रदर्शनकारी एक कार को क्षतिग्रस्त करते दिखे।
सड़कों पर ईंट और पत्थर बिखरे पड़े थे। यह इस बात का गवाह था कि जो किसान आंदोलन दो महीने से शांतिपूर्ण चल रहा था अब वह शांतिपूर्ण नहीं रहा।
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