भोपाल : मध्य प्रदेश में एक महिला कॉन्स्टेबल को लिंग बदलकर पुरुष बनने की अनुमति बुधवार को मिल गई है। इसकी जानकारी खुद गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दी है। उन्होंने कहा कि हमारी महिला आरक्षक को प्रारंभ में पुरुष जैसे लक्षण प्रतीत हुए थे। उन्होंने डॉक्टरों से सलाह भी ली थी। डॉक्टरों ने उन्हें लिंग परिवर्तन की सलाह दी थी। दिल्ली और ग्वालियर के मनोचिकित्सकों ने भी सलाह दी थी। उन्होंन विधिवत आवेदन देकर अनुमति मांगी थी। लिंग परिवर्तन व्यक्ति के स्वयं का अधिकार है। वो किस जेंडर में रहना चाहता है। उसकी अनुमति मध्य प्रदेश सरकार के गृह विभाग ने अनुमति दी है।
इससे परले प्रदेश के गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजोरा ने दावा किया कि मध्य प्रदेश में यह पहला ऐसा मामला है, जहां प्रदेश के किसी भी सरकारी विभाग में महिला से पुरुष में लिंग परिवर्तन की अनुमति दी गई है। अधिकारी ने कहा कि वह किसी भी अन्य पुरुष कॉन्स्टेबल की तरह अपने सभी कर्तव्यों का निर्वहन करती हैं।
प्रमुख मनोवैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि उन्हें बचपन से ही लिंग पहचान का विकार था। उन्होंने कहा कि गृह विभाग ने प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को महिला कॉन्स्टेबल को अपना लिंग बदलने की अनुमति देने की सहमति दे दी है क्योंकि वह बचपन से ही लिंग पहचान के विकार से ग्रसित हैं।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 में कॉन्स्टेबल ने औपचारिक तौर पर पुलिस मुख्यालय में एक हलफनामे देकर अपना लिंग बदलने के लिए आवेदन जमा किया था। इसके साथ ही उन्होंने सरकारी राजपत्र में इसके लिए अपनी मंशा भी जाहिर की थी। उन्होंने बताया कि पुलिस मुख्यालय ने मंजूरी के लिए कॉन्सटेबल का आवेदन गृह विभाग को भेज दिया था।
अधिकारी ने बताया कि नियमों के अनुसार एक भारतीय नागरिक को अपने धर्म और जाति को ध्यान में रखे बिना अपना लिंग चुनने का अधिकार है। इसी आधार पर राज्य के गृह विभाग ने पुलिस मुख्यालय को कॉन्स्टेबल को अपनी इच्छानुसार लिंग परिवर्तन की अनुमति देने की सहमति दी है।
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