नयी दिल्ली: भारतीय वायु सेना के लिए ऐतिहासिक क्षणों के बीच बुधवार को राफेल लड़ाकू विमानों के पहले जत्थे ने भारतीय वायु क्षेत्र में प्रवेश किया, फ्रांस से खरीदे गए ये राफेल लड़ाकू विमान अंबाला एयरबेस पर उतरे। मेरिगनेक एयरबेस से सात घंटे से अधिक उड़ान भरने के बाद यूएई में सोमवार को अल धाफरा एयरबेस पर विमानों का जत्था उतरा था। यह फ्रांस से भारत के लिए उड़ान के दौरान एकमात्र पड़ाव था।
वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया अंबाला में विमानों की अगवानी की, भारतीय वायु क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद राफेल विमानों को दो सुखोई 30 एमकेआई ने अपने घेरे में ले लिया। 30,000 फुट की ऊंचाई पर एक फ्रांसीसी टैंकर से हवा में इन लड़ाकू विमानों में ईंधन भरा गया था।
राफेल लड़ाकू विमान भारत के दो दशकों में लड़ाकू विमानों का पहली बड़ी आपूर्ति है और इनसे भारतीय वायु सेना की लड़ाकू क्षमताओं को काफी मजबूती मिलने की उम्मीद है।
गौरतलब है कि भारत ने 2016 में 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का सौदा फ्रांस से किया था, 59, 000 करोड़ रुपए की यह रक्षा डील दोनों सरकारों के बीच हुई थी विमान का निर्माण करने वाली कंपनी दसौं साल 2021 तक सभी राफेल विमान भारत को सौंप देगी। उसने अभी भारत को 10 लड़ाकू विमान सौंपे हैं। इनमें से पांच को अभी ट्रेनिंग के लिए फ्रांस में ही रखा गया है।
राफेल लड़ाकू विमानों के भारतीय नियंत्रण वाले क्षेत्र में आने के बाद अरब सागर से गुजरने के दौरान पायलट की आईएनएस कोलकाता नाम के भारतीय नौसेना के युद्धपोत से भी दिलचस्प बातचीत हुई थी इस दौरान दोनों ने एक दूसरे की जिम्मेदारी की सराहना की और नौसेना की ओर से राफेल लड़ाकू विमानों का स्वागत किया गया।
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