'रामायण हमारी संस्‍कृति, इस्‍लाम हमारा धर्म', PAK को ये बताने वाले सुकर्णो थे पहले गणतंत्र दिवस के चीफ गेस्‍ट

देश
श्वेता कुमारी
Updated Jan 25, 2021 | 06:00 IST

भारत में 26 जनवरी, 1950 को आयोजित पहले गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथ‍ि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो थे। रामलीला के मंचन को लेकर पाकिस्‍तानी प्रतिनिधिमंडल को कभी उन्‍होंने अपने जवाब से हैरान कर दिया था।

'रामायण हमारी संस्‍कृति, इस्‍लाम हमारा धर्म', PAK को ये बताने वाले सुकर्णो थे पहले गणतंत्र दिवस के चीफ गेस्‍ट
'रामायण हमारी संस्‍कृति, इस्‍लाम हमारा धर्म', PAK को ये बताने वाले सुकर्णो थे पहले गणतंत्र दिवस के चीफ गेस्‍ट  |  तस्वीर साभार: YouTube

नई दिल्‍ली : देश 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है, जब एक बार फिर दुनिया राजपथ पर होने वाले परेड और प्रदर्शित होने वाली झांकियों की बदौलत भारत की सांस्‍कृतिक विरासत और सैन्य ताकत से रू-ब-रू होगी। कोरोना काल में गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन कई तरह के बदलावों के साथ हो रहा है, जिनमें से एक यह भी है कि इस बार कोई विदेशी मेहमान इस समारोह के मुख्‍य अतिथि के तौर पर शिरकत नहीं करेंगे। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को यहां चीफ गेस्‍ट बनकर आना था, लेकिन वहां कोविड-19 के नए स्‍ट्रेन के सामने आने के बाद उनका भारत दौरा टल गया।

गणतंत्र दिवस पर विदेशी राष्‍ट्रप्रमुखों के चीफ गेस्‍ट बनने की लंबी परंपरा रही है। ऐसे में यह जानना दिलचस्‍प होगा कि 26 जनवरी, 1950 को जब भारत अपना पहला गणतंत्र दिवस समारोह मना रहा था तब यहां मुख्‍य अतिथि कौन थे? यह जानकारी बहुत से लोगों को होगी कि इंडोनेशिया के तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति सुकर्णो तब चीफ गेस्‍ट के तौर पर भारत पहुंचे थे, जिनकी गिनती उस वक्‍त दुनिया के कद्दावर नेताओं में होती थी। हालांकि यह जानकारी बहुत कम लोगों को होगी कि एक इस्‍लामिक देश का राष्‍ट्रपति अपने देश की उस संस्‍कृति को लेकर कितना सहज था, जिसे हिन्‍दू परंपराओं से जोड़कर देखा जाता है।

पाकिस्‍तान को दिया था दो टूक जवाब

मलेशिया और ऑस्ट्रेलिया के बीच हजारों द्वीपों पर फैले इंडोनेशिया में मुसलमानों की सबसे ज्‍यादा आबादी बसती है, पर यहां हिंदू परंपरा से जुड़े कई साक्ष्‍य आसानी से मिल जाते हैं। इसी क्रम में इंडोनेशिया के प्रसिद्ध रामायण का उल्‍लेख महत्‍वपूर्ण होगा, जो दुनियाभर में मशहूर है। रामकथा इंडोनेशिया की सांस्कृतिक विरासत का महत्‍वपूर्ण हिस्सा है। बहुत से लोगों को एक मुस्लिम बहुल देश में रामायण की संस्‍कृति को लेकर हैरानी होती है, लेकिन दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला यह देश रामायण के साथ जुड़ी अपनी सांस्कृतिक पहचान के साथ बहुत सहज है।

इस बारे में एक किस्‍सा मशहूर है। बताया जाता है कि एक बार इंडोनेशिया के पहले राष्ट्रपति सुकर्णो के कार्यकाल में जब एक पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल वहां पहुंचा था तो उन्‍होंने वहां रामलीला देखी। यह वाकया 1960 के दशक का बताया जाता है। प्रतिनिधिमंडल में शामिल लोग इस इस्‍लामिक देश में रामलीला के मंचन से हैरान थे। उन्‍होंने सुकर्णो के सामने भी अपनी हैरानी जाहिर की और उनसे इस बारे में पूछे बगैर न सके। इस पर सुकर्णो ने जो जवाब दिया था, उसे सुनकर पाकिस्‍तानी प्रतिनिधिमंडल के लोग हैरान रह गए थे। उन्‍होंने बेहद सहजता के साथ कहा था, 'इस्लाम हमारा धर्म है तो रामायण हमारी संस्कृति।' 

भारत के पहले प्रधानमंत्री पंड‍ित जवाहरलाल नेहरू के करीबी नेताओं में गिने जाने वाले सुकर्णो भारत में 26 जनवरी, 1950 को आयोजित पहले गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्‍य अतिथि बने। तब दक्षिण-पूर्वी एशिया में उनकी गिनती एक कद्दावर नेता के तौर पर होती थी और उनकी एक खास पहचान थी।

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