हरिद्वार: उत्तराखंड के हरिद्वार में कुछ दिन पहले आयोजित धर्म संसद में जिस तरह से खुलकर हेट स्पीच (Hate Speech) दी गई उसे लेकर राज्य सरकार विपक्ष के साथ-साथ सोशल मीडिया के निशाने पर भी है। प्रशासन ने शनिवार को दो लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। अब सरकार ने कुछ प्रतिभागियों द्वारा कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषण देने के मामले की जांच के लिए रविवार को विशेष जांच दल यानि एसआईटी का गठन किया है।
गढ़वाल के पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) के एस नागन्याल के मुताबिक, मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित की गई है। जब उनसे पूछा गया कि क्या इस मामले से जुड़े कुछ लोगों की गिरफ्तारी भी होगी तो नागन्याल ने कहा, 'हमने एसआईटी का गठन किया है। वह जांच करेगी। अगर इसमें शामिल लोगों के खिलाफ पुख्ता सबूत मिलते हैं, तो उचित कार्रवाई की जाएगी।'
उन्होंने बताया कि इस मामले में पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है जिनमें वसीम रिजवी, जिन्होंने पिछले महीने हिंदू धर्म अपनाने के बाद जितेंद्र नरायण त्यागी नाम रख लिया है, साधवी अन्नपूर्णा धर्मदास,संत सिंधु सागर और धर्म संसद के आयोजक एवं गाजियाबाद के डासना मंदिर के मुख्य पुजारी यति नरसिम्हानंद शामिल हैं।
आपको बता दें कि उत्तराखंड की भाजपा सरकार पर हरिद्वार में 16 से 19 दिसंबर के बीच आयोजित ‘धर्म संसद’ में मुस्लिमों के खिलाफ कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषण देने वालों पर कार्रवाई करने को लेकर विभन्न धड़ों का दबाव है। उत्तर प्रदेश और हरियाणा के पूर्व पुलिस महानिदेशकों क्रमश: विभूति नारायण राय और विकास नारायण राय सहित सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर कहा कि ‘संसद’ विभिन्न धर्मों के शांतिपूर्ण सह अस्तित्व की उत्तराखंड की लंबी परंपरा पर काला धब्बा है।
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