Srilanka Crisis : दिल्ली पर 2020 तक 1 लाख 7 हजार करोड़ रुपए का कर्ज। पंजाब पर लगभग 3 लाख करोड़ रुपए का कर्ज। राजस्थान पर 4 लाख 70 हजार करोड़ रुपए का कर्ज। पश्चिम बंगाल पर 5 लाख 62 हजार करोड़ रुपए का कर्ज। तमिलनाडु पर 6 लाख 60 हजार करोड़ रुपए का कर्ज। भारी-भरकम कर्ज में डूबे ये वो राज्य हैं जहां मुफ्तखोरी की राजनीति प्रैक्टिस में है। दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है। दोनों जगह मुफ्त की योजनाओं और वादों की भरमार है। दिल्ली में 200 यूनिट बिजली फ्री है। पानी फ्री है। मोहल्ला क्लीनिक में इलाज फ्री है। बुजुर्गों के लिए तीर्थ यात्रा मुफ्त है। यही सूरतेहाल पंजाब का भी है। यहां भी 400 यूनिट तक बिजली बिल पर 50 फीसदी छूट है। किसानों को 12 घंटे मुफ्त बिजली दी जा रही है। 18 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं को हर महीने 1000 रुपए मिल रहे हैं।
आंध्र प्रदेश में आदिवासी महिलाओं को सालाना 15 हजार रुपए की मदद दी जा रही है। बुजुर्गों को हर महीने 2250 रुपए दिए जा रहे हैं। मुफ्त में हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम चल रही है। राजस्थान में पुरानी पेंशन योजना फिर से लागू कर दी गई है। कृषि संयंत्र खरीदने के लिए सालाना 5 हजार रुपए की मदद दी जा रही है। 3 साल में 1 लाख किसानों को सोलर पंप के लिए पैसे दिए जा रहे हैं। ये तो महज कुछ राज्यों के उदाहरण हैं। कमोबेश ज्यादातर राज्यों में फ्री पॉलिटिक्स अमल में लाई जा रही है।
चुनाव जीतने का अस्त्र मान लिया है
कर्ज में डूबे होने के बावजूद राज्य फ्री की सेल लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक में भारत सरकार के अधिकारी भी इस पर चिंता जाहिर कर चुके हैं। लेकिन मुफ्तखोरी वाली राजनीति पर फुल स्टॉप नहीं लग रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि सभी राजनीतिक दलों ने इसे चुनाव जीतने का सबसे बड़ा अस्त्र मान लिया है और अगर हाल में आए पंजाब के नतीजे देखें तो ऐसा है भी। आम आदमी पार्टी की फ्रीम स्कीम कुछ इस तरह चली कि पंजाब से कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया।
मुफ्तखोरी वाली राजनीति देश को खोखला करेगी
खैर मुफ्तखोरी वाली राजनीति अपनी जगह। लेकिन देश को, राज्यों को इससे बाज आने की जरूरत है। क्योंकि पॉलिटिक्स की ये प्रैक्टिस भारत को अंदर से खोखला करता जा रहा है। सरकारी खजाने पर इतना बड़ा बोझ पड़ रहा है, जो एक दिन श्रीलंका जैसे संकट का रूप ले सकता है। हमें श्रीलंका से सबक लेने की जरूरत है। उसी श्रीलंका से जो इस वक्त सबसे बड़े आर्थिक संकट से हार रहा है। मौजूदा वक्त में उसपर 6 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है। भारत का ये पड़ोसी मुल्क पूरी तरह कंगाल हो चुका है। रोजमर्रा की चीजों के दाम रॉकेट की तरह आसमान छू रहे हैं।
श्रीलंका में हर तरफ त्राहिमाम
श्रीलंका में हर तरफ त्राहिमाम मचा है। इसकी एक बड़ी वजह ये है कि श्रीलंका की राजपक्षे सरकार ने जनता को टैक्स में बड़ी छूट दी। इसकी पूर्ति के लिए उसने चीन से भारी-भरकम कर्ज लिया। इसका परिणाम आज पूरी दुनिया के सामने है। श्रीलंका के हालात को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि वोट के लिए मुफ्त की योजनाओं का रोग कितना बुरा है। इसीलिए देश को मुफ्तखोरी की पॉलिटिक्स से बचने की जरूरत है।
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