बिहार की राजनीति और नेता जितने आए दिनों चर्चा में रहते हैं उतने ही वहां की कई और चीजें भी फेमस हैं। इसी में से एक है उत्तरी बिहार के मिथिला में पैदा होने वाला मखाना जो दुनिया भर के 90 देशों में सप्लाई होता है। अब इस मखाने को सरकार की ओर से जीआई टैग मिल गया है।
क्या है इतिहास
मिथिला मखाने को केवल 'माखन' के नाम से भी जाना जाता है। इसका वानस्पतिक नाम 'Euryale Ferox Salisb' है। बिहार में मखाने को एक शुभ संकेत के तौर पर माना जाता है। शादी और पूजा में इसका जमकर प्रयोग होता है। प्रसाद के रूप में भी इसका प्रयोग किया जाता। बिहार के अलावा देश-दुनिया में लोग इसे एक हेल्दी नाश्ते के तौर पर भी लेते हैं।
क्या है GI Tag
जीआई टैग मुख्य रूप से ऐसे उत्पाद को दिया जाता है, जो एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में पैदा होता है। इस टैग के मिलने से उस उत्पाद को एक कानूनी सुरक्षा मिल जाती है। इससे निर्यात में बढ़ावा मिलता है। केंद्रीय मंत्री पीयुष गोयल ने जीआई टैग की घोषणा करते हिए कहा- "जीआई टैग से पंजीकृत हुआ मिथिला मखाना, किसानों को मिलेगा लाभ और आसान होगा कमाना। त्योहारी सीजन में मिथिला मखाना को Geographical Indication Tag मिलने से बिहार के बाहर भी लोग श्रद्धा भाव से इस शुभ सामग्री का प्रयोग कर पाएंगे।"
किसानों में खुशी
केंद्र सरकार द्वारा मखाने को जीआई टैग मिलने से मिथिला के किसानों में खुशी की लहर है। इस टैग की मांग स्थानीय किसानों की तरफ से काफी समय से की जा रही थी। इस टैग के मिलने के बाद से किसानों को और अधिक मुनाफा हो सकेगा।
बता दें कि पूरे विश्व में मखाना के 90 प्रतिशत हिस्सा भारत से सप्लाई होता है। उसमें से भी बिहार से। मिथिला में ही मखाने का सबसे ज्यादा उत्पादन होता है और विश्व के 90 देश मिथिला का ही मखाना खाते हैं।
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