गोधरा : गुजरात दंगों के मुख्य आरोपी राफिक हुसैन भटुक को दो दशक के बाद सजा हुई है। साल 2002 के इन दंगों में कोर्ट ने भटुक को साजिश रचने का दोषी पाया है और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। दंगों में अपना नाम आने के बाद भटुक फरार हो गया था। पुलिस ने पिछले साल उसे गिरफ्तार किया। गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस में साजिश के तहत आग लगाई गई। इस घटना में अयोध्या से लौट रहे 59 कारसेवकों की जलकर मौत हुई। इस घटना के बाद गोधरा एवं गुजरात के अन्य हिस्से दंगे की चपेट में आ गए।
पुलिस को करीब 19 साल तक चकमा देता रहा
दंगे के बाद भटुक पुलिस को करीब 19 साल तक चकमा देता रहा। फिर भी वह गत 14 फरवरी को पुलिस के हत्थे चढ़ गया। पुलिस का कहना है कि साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाने की साजिश जिन मुख्य आरोपियों ने रची, भटुक उनमें से एक था। 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाई गई।
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भटुक 35वां आरोपी है जिसे सजा हुई है
गुजरात दंगों में अब तक कई आरोपियों को सजा हो चुकी है। इस मामले में भटुक 35वां आरोपी है जिसे सजा सुनाई गई है। स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने भटुक को पिछले साल फरवरी में गोधरा कस्बे में एक जगह से गिरफ्तार किया। वापस गोधरा आने से पहले वह कई शहरों में रहा। इससे पहले एसआईटी की एक विशेष अदालत ने एक मार्च 2011 को 31 लोगों को दंगे का दोषी पाया। इनमें से 11 को फांसी की सजा और 20 को आजीवन कारावास की सजा हुई। हालांकि, गुजरात हाई कोर्ट ने अक्टूबर 2017 में मौत की सजा पाए 11 दोषियों की सजा कम करते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
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