नई दिल्ली। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने लोकसभा को जानकारी दी कि इस संबंध में सरकार द्वारा एक कानून बनाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। बता दें कि फरवरी 2021 में, ऑस्ट्रेलियाई संसद ने समाचार मीडिया सौदेबाजी संहिता में अंतिम संशोधन किया था जिसके मुताबिक गूगल, फेसबुक या यू ट्यूब अगर किसी मीडिया हाउस के कंटेंट का इस्तेमाल करते हैं तो उन्हें उसके लिए कीमत अदा करनी होगी। इस संबंध में बीजेपी के नेता सुशील मोदी ने सवाल किया था कि क्या सरकार इस संबंध में किसी प्रस्ताव पर विचार कर रही है।
भारत में उठी थी मांग
ऑस्ट्रेलिया द्वारा जब इस संबंध में संशोधन को पारित किया उसके ठीक एक दिन बाद भारतीय समाचार पत्र सोसायटी ने Google को लिखा कि वो भारतीय अखबारों से जो कंटेंट इस्तेमाल करता है उसका भुगतान करे। जे एम मैथ्यू ( अध्यक्ष डिजिटल समिति आईएनएस, कार्यकारी संपादक मलयालम मनोरमा) ने टाइम्स नाउ को बताया कि भारतीय समाचार पत्र सोसायटी द्वारा 3 प्रमुख मांगें की गई थीं। इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी ने इस बात का जिक्र किया है कि गूगल को विज्ञापन राजस्व के प्रकाशक हिस्से को 85% तक बढ़ाना चाहिए, गूगल को समाचार सामग्री के लिए भुगतान करना चाहिए और प्रकाशकों को प्रदान की गई राजस्व रिपोर्ट में अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए।
सरकार ने कहा कोई प्रस्ताव नहीं
जयंत मैमन मैथ्यू ने कहा कि जो सामग्री अखबारों द्वारा बनाई और प्रकाशित की जाती है, उसमें खर्च काफी ज्यादा होता है। यह विश्वसनीय सामग्री है जिसने Google को भारत में इसकी स्थापना के बाद से प्रामाणिकता प्रदान की है। बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने राज्यसभा में उल्लेख किया, 'सरकार उन समाचार सामग्री के लिए Google और फेसबुक और यूट्यूब को भुगतान करना चाहिए जो समाचार सामग्री का उपयोग स्वतंत्र रूप से कर रहे हैं।' ऑस्ट्रेलिया जैसे कानून को लागू करने के लिए केंद्र से आग्रह करते हुए उन्होंने समाचार मीडिया व्यवसायों की सामग्री के लिए उचित पारिश्रमिक की आवश्यकता पर जोर दिया।
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