Google Doodle on 15 August 2022: 15 August 2022 (स्वतंत्रता दिवस) पर अमेरिकी सर्च इंजन गूगल (Google) भी आजादी के रंग में रंगा नजर आया। सोमवार को गूगल इंडिया के होम पेज पर खास डूडल दिखा, जो कि आजादी के जश्न से जुड़ा था। गूगल ने इसमें तिरंगा के तीन प्रमुख रंगों (केसरिया, सफेद और हरा) का इस्तेमाल करने के साथ 15 अगस्त पर भारत में होने वाली चीजों का जिक्र भी किया। मसलन पतंगबाजी। डूडल में उगता हुआ सूरज। सुबह सवेरे सूरज की नई किरण के बीच हरियाली में पतंग बनाती महिला और उनके इर्द-गिर्द उन्हें उड़ाते कुछ बच्चे नजर आए।
डूडल में बनाई गई पतंगों से समझा जा सकता है कि यह 75 सालों में भारत की ओर से हासिल की जाने वाली ऊंचाइयों का प्रतीक हैं। दरअसल, भारत में 15 अगस्त को हर साल बड़े स्तर पर पतंगबाजी होती है। दिल्ली से लेकर यूपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और पंजाब में पतंगबाजी से जुड़े आयोजन भी होते हैं।
डूडल पर क्या कहना है आर्टिस्ट्स का?
आर्टिस्ट नीति ने इस डूडल के बारे में समाचार एजेंसी एएनआई को बताया- पतंग उड़ाने की भारत में पुरानी परंपरा रही है। यह 15 अगस्त के जश्न से लंबे समय से जुड़ी रही है। स्वतंत्रता सेनानी भी पतंगबाजी उड़ाया करते थे। वे उन पर प्रतिरोध वाले नारे लिखकर विरोध के तौर पर उन्हें ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ कभी उड़ाया करते थे।
PM ने देश को यूं दी स्वतंत्रता दिवस की बधाई
इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को 76 वें स्वतंत्रता दिवस पर देशवासियों को बधाई दी। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, "देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। जय हिंद!"। प्रधानमंत्री ने सोमवार (15 अगस्त, 2022) को लाल किले की प्राचीर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया। ध्वजारोहण के बाद तिरंगे को सलामी दी। जैसे ही राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया, वैसे ही दो एम आई 17 वन वी हेलीकॉप्टरों ने पुष्प वर्षा की और उसके बाद प्रधानमंत्री का संबोधन हुआ।
क्यों अहम है भारत के लिए 15 अगस्त?
15 अगस्त का दिन भारत के लिए बेहद खास है, क्योंकि अंग्रेजों की लंबी गुलामी के बाद भारत ने आखिरकार 15 अगस्त 1947 को आजाद हवा में सांस ली थी। आजाद सुबह का सूरज देखा था। हालांकि, इस सूरज में बंटवारे के जख्म की लाली भी थी। बंटवारे के बाद मिली आजादी खुशी के साथ ही दंगों और सांप्रदायिक हिंसा का दर्द भी दे गई। 15 अगस्त की तारीख भारतीय डाक सेवा के इतिहास में एक खास कारण से दर्ज है। दरअसल 1972 में 15 अगस्त के ही दिन ‘पोस्टल इंडेक्स नंबर’ अर्थात पिन कोड लागू किया गया था। हर इलाके के लिए अलग पिन कोड होने से डाक की आवाजाही में आसानी होने लगी।
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