Defence Forces: डिफेंस फोर्सेज को एक बड़ा बढ़ावा देने के लिए सरकार ने उन्हें आपातकालीन खरीद मार्ग के माध्यम से अपनी परिचालन आवश्यकताओं के लिए महत्वपूर्ण हथियार प्रणाली खरीदने की अनुमति दी है। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक शीर्ष सरकारी सूत्रों ने उसे बताया कि सोमवार सुबह हुई रक्षा मंत्रालय की एक बैठक में इसे मंजूरी दी गई है और जिसके अनुसार हथियार प्रणालियों की खरीद केवल मेक इन इंडिया रूट के माध्यम से ही की जा सकती है।
डिफेंस फोर्सेज को आपातकालीन हथियार खरीदने की मिली मंजूरी!
इस बैठक की अध्यक्षता खुद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की। डिफेंस फोर्सेज अब इन शक्तियों का उपयोग फास्ट-ट्रैक रूट के तहत महत्वपूर्ण हथियार प्रणालियों को खरीदने के लिए करने जा रहे हैं, जिसका अर्थ है कि डिलीवरी तीन महीने से एक साल के भीतर की जाएगी।
सूत्रों ने कहा कि आर्म्ड फोर्सेज को अपने बजटीय आवंटन से नए अधिग्रहण पर धन खर्च करना पड़ता है और उन्हें इन सौदों के लिए रक्षा मंत्रालय की मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं होती है। डिफेंस फोर्सेज ने अतीत में इन अधिग्रहणों के माध्यम से अपनी तैयारियों को मजबूत किया है जब उन्हें आपातकालीन शक्तियां प्रदान की गई थीं।
भारतीय वायुसेना और सेना को 'हेरॉन' मानव रहित हवाई वाहन मिले
भारतीय वायुसेना और सेना को 'हेरॉन' मानव रहित हवाई वाहन मिले हैं, जिन्हें अब लद्दाख के साथ-साथ पूर्वोत्तर में चीनी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए निगरानी के लिए तैनात किया गया है। फोर्सेज को मिसाइलें भी मिली हैं, जो लंबी दूरी से जमीनी लक्ष्यों को मार सकती हैं। HAMMER मिसाइलों के शामिल होने से राफेल लड़ाकू विमानों को भी बढ़ावा मिला है।
सेना और भारतीय वायुसेना ने भी इन शक्तियों का इस्तेमाल अपने छोटे हथियारों को मजबूत करने के लिए किया है, क्योंकि सिग सॉयर असॉल्ट राइफल्स को अब तीनों बलों में शामिल कर लिया गया है। आर्म्ड फोर्सेज ने सरकार द्वारा विभिन्न चरणों में उन्हें दी गई आपातकालीन खरीद शक्तियों का व्यापक रूप से उपयोग किया ताकि दोनों पक्षों के दुश्मनों द्वारा किसी भी संघर्ष या आक्रमण से निपटने के लिए आवश्यक हथियारों से खुद को लैस किया जा सके।
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