देश ने हाल ही में अपने एक बड़े उद्योगपतियों में से एक साइरस मिस्त्री को एक सड़क हादसे में खो दिया है। इस हादसे के बाद से सड़क सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे और कार में पीछे बैठने वाले यात्रियों के लिए सीट बेल्ट लगाने का कानून सख्ती से लागू कर दिया गया है।भारत के इतिहास में कई ऐसे मौके आए जब सरकार को कानून बदलना पड़ा या सख्ती से कानून लागू करना पड़ा। तो आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही कानून के बारे में जो किसी घटना से प्रभावित होकर लागू किए गए हैं।
सती प्रथा
सती प्रथा को खत्म करने का श्रेय राजा राम मोहन राय को जाता है, लेकिन ये अचानक नहीं हुआ था। एक घटना ने राजा राम मोहन राय को झकझोर कर रख दिया था, जिसके बाद उन्होंने सती प्रथा को खत्म करने की कसम खा ली थी। दरअसल हुआ यूं कि राजा राम मोहन राय किसी काम से विदेश गए, इसी बीच उनके भाई की मौत हो गई, घरवालों ने सती प्रथा के तहत उनकी भाभी को भी भाई के साथ चिता पर जला दिया। भारत लौटने के बाद जब इस घटना के बारे में उन्हें जानकारी हुई तो वो सती प्रथा को खत्म कराने में जुट गए। काफी मेहनत के बाद 4 दिसंबर 1829 को सती प्रथा के खिलाफ ब्रितानिया हुकूमत ने कानून पास कर दिया।
निर्भया केस के बाद बदला कानून
दिसंबर 2012 में निर्भया कांड हुआ। दिल्ली समेत पूरा देश इस पीड़िता के साथ खड़ा हो गया। निर्भया (बदला हुआ नाम) नाम की लड़की के साथ दिल्ली में एक चलती बस में गैंगरेप किया गया था। गैंगरेप के बाद निर्भया को फेंक कर दरिंदे भाग गए थे। इस गैंगरेप में अन्य आरोपियों के साथ एक 16 साल का लड़का भी शामिल था, जिसे नाबालिग होने के कारण बहुत ही कम सजा मिली थी। इसे लेकर काफी विवाद हुआ। सरकार मजबूर हुई और उसने कानून में संशोधन किया।
इस घटना के बाद आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 पारित किया गया। पॉक्सो एक्ट अस्तित्व में आया। जुवेनाइल जस्टिस बिल आया। इन कानूनों के जरिए रेप की परिभाषा बदल गई। इनके जरिए भारतीय दंड संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम और आपराधिक प्रक्रिया संहिता के कई प्रावधानों में संशोधन किया गया। इस संशोधन के माध्यम से, कई नए अपराधों को शामिल किया गया। महिला को गलत तरीके से छुना, छेड़छाड़ करना इन सबको रेप में शामिल करते हुए सख्त सजा का प्रावधान किया गया। रेपिस्ट को फांसी की सजा मिल सके, इसका प्रावधान किया गया। जुवेनाइल के तहत नाबालिग आरोपियों के खिलाफ कानून सख्त किया गया।
साइरस मिस्त्री की मौत के बाद सख्ती से लागू हुआ कानून
कुछ दिनों पहले ही देश के बड़े उद्योगपतियों में से एक साइरस मिस्त्री की मौत सड़क दुर्घटना में हो गई। इसके बाद से सड़क सुरक्षा कानून को लेकर सवाल उठने लगे। पीछे बैठे यात्रियों के लिए सीट बेल्ट कानून को सख्ती से लागू करने की बात कही जाने लगी। शुरुआती रिपोर्ट में ये बातें सामने आईं हैं कि साइरस मिस्त्री की मौत कार की ओवरस्पीड और सीट बेल्ट नहीं लगाने के कारण हुई है। जिसके बाद केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गड़करी ने कहा है कि पीछे बैठने वाले यात्रियों के लिए भी सीट बेल्ट अनिवार्य है और ऐसा नहीं करने पर जुर्माना किया जाएगा। साथ ही कार के पीछे की सीटों के लिए भी वाहनों में सीट बेल्ट अलार्म प्रणाली लगाई जाने की बात कही जा रही है।
पीछे की सीटों पर भी सीट बेल्ट लगाने का कानून है, लेकिन इसका पालन शायद ही कोई करता है। पुलिस भी इस पर ध्यान नहीं देती और चालन नहीं काटती थी, लेकिन अब इस पर अमल शुरू हो गया है।
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