Maharashtra political Crisis : महाराष्ट्र की राजनीति में उथल-पुथल मचा हुआ है। शिवसेना की बगावत का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। कोर्ट में सोमवार को शिवसेना विवाद पर सुनवाई हुई। कोर्ट से शिंदे गुट को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने 11 जुलाई तक 16 विधायकों की अयोग्यता मामले पर कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है। ऐसे में बागी विधायकों को अपनी सदस्यता खोने का खतरा फिलहाल समाप्त हो गया है। अब सबकी नजरें एकनाथ शिंदे के अगले कदम पर टिकी हैं। सूत्रों का कहना है कि 11 जुलाई आने में अभी वक्त है। ऐसे में एकनाथ शिंदे फ्लोट टेस्ट की मांग कर सकते हैं। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से भी उनकी मुलाकात हो सकती है।
फैसलों पर राज्यपाल ने उद्धव सरकार से रिपोर्ट मांगी
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अभी शिंदे के पास सबसे मजबूत और प्रभावी विकल्प फ्लोर टेस्ट की मांग हो सकती है। क्योंकि शिंदे को पता है कि शिवसेना के दो तिहाई से ज्यादा विधायकों का समर्थन उनके पास है। इसलिए, वह फ्लोर टेस्ट के जरिए उद्धव सरकार को सत्ता से हटाने की कोशिश कर सकते हैं। कोर्ट का फैसला आने के बाद भारतीय जनता पार्टी भी सक्रिय हो गई है। सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस के आवास पर भाजपा विधायकों की अहम बैठक हुई। बैठक में शामिल एक विधायक ने कहा कि पार्टी अभी 'इंतजार करो और देखो' की रणनीति पर काम कर रही है। इस बीच, राज्यपाल कोश्यारी ने उद्धव सरकार से 22 से 24 जून तक की रिपोर्ट मांगी है। राजभवन की ओर से जारी चिट्ठी में पूछा गया है कि सीएम उद्धव ने तीन दिनों में कौन-कौन से फैसले लिए।
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