नई दिल्ली : सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम को लेकर भारत सरकार ने बड़ा फैसला किया है। सरकार ने नागालैंड, असम और मणिपुर के कई इलाकों से अफस्पा को हटाने का फैसला किया है। गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर यह जानकारी दी है। इन राज्यों से इस कानून को हटाने की मांग लंबे समय से की जा रही थी। मणिपुर विधानसभा चुनाव में अफस्पा एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बना था। सरकार ने भी इसे हटाने के बारे में संकेत दिया था। गृह मंत्री ने सरकार के इस फैसले के बारे में कई ट्वीट किए हैं। शाह ने इस फैसले के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया है। गृह मंत्री ने कहा है कि हमारा पूर्वोत्तर भारत जो कि दशकों से उपेक्षित था, वहां अब शांति, समृद्धि एवं विकास है। इस ऐतिहासिक अवसर पर वह पूर्वोत्तर के लोगों को बधाई देते हैं।
पूर्वोत्तर के राज्यों में लागू है अफस्पा
अफस्पा जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के राज्यों में लागू है। यह इन राज्यों में तैनात सेना एवं सुरक्षाबलों को विशेष अधिकार देता है। इसके तहत सुरक्षाबल बिना किसी पूर्व सूचना एवं वारंट की लोगों के घरों की तलाशी एवं उनसे पूछताछ कर सकते हैं। मानवाधिकार संगठन इस कानून के दुरुपयोग का आरोप लगाते रहे हैं। गृह मंत्री ने कहा कि इन राज्यों में सुरक्षा हालात बेहतर हुए हैं एवं तेजी से विकास हुआ है। अफस्पा को हटाने में इन दोनों बातों ने अहम भूमिका निभाई है।
1990 में किया गया था लागू
AFSPA की जरूरत उपद्रवग्रस्त पूर्वोत्तर में सेना को कार्यवाही में मदद के लिए 11 सितंबर 1958 को पारित किया गया था। वहीं, जब 1989 के आस पास जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद बढ़ने लगा तो 1990 में इस कानून को यहां भी लगा दिया गया था।
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