सुप्रीम कोर्ट में एक दिलचस्प मामला चल रहा था कि कोरोना से अनाथ हुए पोते पर हक दादा-दादी का है या नाना- नानी का। इस संबंध में सुप्रीम कोर्टने फैसला सुना दिया है और पोते की कस्टडी दादा-दादी को सौंप दी है। दरअसल मामला 2021 का है। कोरोना की वजह से बच्चे के पिता की मौत हुई और उसके ठीक एक महीने बाद मां की मौत हो गई। बच्चे के पिता अहमदाबाद के रहने वाले थे और उसकी मां दाहोद की। बच्चे की मां की मौत जब हुई तो बच्चा दाहोद गया और उसके नाना नानी ने अपने पास रख लिया। बच्चे के दादा दादी ने अपने पोते को वापस लाने की कोशिश की। लेकिन वो उसे लाने में नाकाम रहे।
नाना-नानी को ना
लाख कोशिशों के बाज जब दादा दादी को कामयाबी नहीं मिली तो उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया। अदालती कार्यवाही में बच्चे से जजों ने पूछा कि उसे कहां अच्छा लगता है तो जवाब दोनों जगहों के लिए था। लेकिन जब यह पूछा गया कि दादा-दादी और नाना-नानी के घर में सबसे अच्छा कौन लगता है तो बच्चा जवाब नहीं दे पाया। इस बीच उस बच्चे की मौसी ने कहा कि उनको कोई अपना बच्चा नहीं है लिहाजा बच्चे की कस्टडी उसे सौंप दी जाए। हालांकि अदालत ने बच्चे को नाना नानी के पास रखने का फैसला सुनाया।
दादा-दादी की दलील
निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दादा-दादी ने सुप्रीम कोर्ट की ओर रुख किया और अपनी दलील पेश की। दादा-दादी ने कहा कि भले ही उनकी उम्र अधिक है वो अपने पोते की देखभाल करने में समर्थ हैं। अगर बात शिक्षा की करें को दाहोद की तुलना में अहमदाबाद में पढ़ाई लिखाई की बेहतर सुविधा है। यही नहीं बच्चे के चाचा का भी अच्छा खासा बिजनेस है और वो खुद सक्षम हैं ऐसी सूरत में बच्चे पर पहला अधिकार उनका है।
Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।